सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित किसान मेले और पशु प्रदर्शनी में किसानों पशुपालन के प्रति जागरूक किया गया। किसानों को पशुओं में लगने वाली बीमारी और उनके निदान की जानकारी दी गई। इस दौरान दुधारू पशुओं को गर्भावस्था के दौरान होने वाली बीमारियों के बारे में भी जानकारी दी गई।
बोतल में बंद देखा 4 और 6 माह का बच्चा
किसान मेले में केंद्रीय गोवंश अनुसंधान संस्थान की ओर से लगाए गए स्टाल पर गोवंश की बीमारियों के बारे में जानकारी दी गई। इस दौरान स्टॉल पर 2 अलग-अलग बोतलों में बंद गोवंश किसानों को दिखाए गए। इनमें एक 4 महीने का बच्चा था जबकि दूसरा 6 महीने का। ये दोनों बच्चे पेट में पलते समय की अवधि के थे। किसानों को बताया गया कि पशु के पेट में गर्भावस्था के दौरान कितने महीने का बच्चा कैसा दिखता है और उसमें कौन से रोग होने की संभावना रहती है। किसानों ने बोतल में बंद गोवंश के ये बच्चे देखे तो वह हैरत में पड़ गए। स्टॉल पर मौजूद पशु विशेषज्ञ और वैज्ञानिकों ने किसानों की जिज्ञासा को शांत करते हुए बताया कि ये मिसकैरेज बच्चे है। जो मात्र जानकारी के लिए रखे गए है कि इस माह के बच्चे गाय के पेट में ऐसे ही दिखते है।
बांझपन की समस्या और प्रबंधन की दी जानकारी
मेले के माध्यम से किसानों को दुधारू पशुओं में होने वाली बांझपन की समस्या के बारे में विस्तार से बताया गया। किसानों को बताया गया कि समस्या का कैसे समाधान किया जा सकता है। पशुओं में लगने वाले रोगों की समय से कैसे पहचान की जाए इसकी जानकारी दी गई। पशु विशेषज्ञों ने बताया कि दुधारू पशुओं की उचित देखभाल न होने से भी बांझपन की समस्या आ जाती है। किसानों को बताया गया कि कैसे मादा पशुओं में बीमारी के लक्षण को पहचाना जाता है। इस दौरान बताया गया कि गरमी के लक्षण कैसे मादा पशु में दिखाई देते हैं। उन्हें बताया गया कि शाम को 6 बजे से सुबह 6 बजे तक गरमी के लक्षण को आसानी से पहचाना जा सकता है। वैज्ञानिकों ने बताया कि कई बार शारीरिक संरचना में गड़बड़ी होने के कारण भी बांझपन की समस्या देखने को मिलती है।
दुधारू पशुओं के प्रति जागरूक करना मकसद
कृषि विवि के प्रोफेसर और पशुपालन विभाग के अध्यक्ष डा. राजबीर सिंह ने बताया कि मेले के माध्यम से किसानों को पशुपालन के प्रति जागरूक किया गया। उन्हें बताया गया कि कैसे दुधारू पशुओं की सामान्य देखभाल से ही उन्हें न केवल बीमारियों से बचाया जा सकता है बल्कि उनका दूध उत्पादन भी बढ़ाया जा सकता है। मेले में ऐसे किसानों को उनके पशुओं के साथ आमंत्रित किया गया था, जिनके पशु आम किसान के लिए उदाहरण पेश कर रहे थे। डॉ. राजबीर सिंह ने बताया कि मेले के माध्यम से किसान पशु पालन के क्षेत्र की काफी कुछ नई जानकारी अपने साथ लेकर जा रहे हैं। इसका लाभ उन्हें जरूर मिलेगा।
मछली पालन की दी जानकारी
कृषि विवि के मत्स्य विभाग द्वारा किसानों को मछली पालन की जानकारी दी गई। किसानों को बताया किया गया कैसे वह मत्स्य पालन से अपनी आमदनी में इजाफा कर सकते हैं। मत्स्य पालन कर रहे किसानों को मछलियों में लगने वाले रोग की समय से पहचान और उनके उपचार की जानकारी विशेषज्ञों द्वारा दी गई।
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