ग्रामीण विकास मंत्रालय प्रत्येक घर के निर्माण की भू-टैगिंग तथा संपूर्ण निर्माण प्रक्रिया की निगरानी के लिए अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और सूचना प्रौद्योगिकी का उपयोग कर रहा है. पीएमएवाई-जी के तहत बनने वाले प्रत्येक पक्के घर में शौचालय, गैस कनेक्शन, बिजली आपूर्ति, पेयजल आपूर्ति आदि सुविधाओं से ग्रामीण भारत की तस्वीर बहुत तेजी से बदल रही है.
ज्ञात रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नवम्बर, 2016 को प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण का शुभारंभ किया था. इंदिरा आवास योजना (आईएवाई) की पुनर्संरचना करके पीएमएवाई-जी तैयार किया गया है. 2022 तक ‘सबके लिए आवास’ लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए पीएमएवाई-जी के अंतर्गत 31 मार्च, 2019 तक एक करोड़ तथा 2022 तक 2.95 करोड़ पक्के आवासों के निर्माण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. मंत्रालय के ग्रामीण आवास योजना के तहत 2013-14 से 2017-18 तक निर्मित होने वाले आवासों की संख्या (लाख में)
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2013-14 (आईएवाई) |
2014-15 (आईएवाई) |
2015-16 (आईएवाई) |
2016-17 (आईएवाई + पीएमएवाई-जी) |
2017-18 (आईएवाई + पीएमएवाई-जी) |
निर्मित आवास |
10.51 |
11.91 |
18.22 |
32.23 |
44.54* |
राज्यों से आवास निर्माण की प्रगति के सम्बन्ध में जानकारी आवास सॉफ्ट पोर्टल पर अपलोड करने के लिए कहा गया है. इन जानकारियों में धनराशि की अंतिम किस्त, भूटैगिंग फोटो आदि शामिल हैं. 40.25 लाख आवासों की जानकारियां अपलोड की जा चुकी हैं. शेष आवासों की जानकारी इस महीने के अंत तक अपलोड कर दी जाएगी. ग्रामीण आवास योजना के प्रदर्शन में तेजी दर्ज की गई है. पिछले 4 वर्षों के दौरान 4 गुणी वृद्धि हुई है. यह वृद्धि तब है जब 20 नवम्बर, 2016 को योजना के लांच होने के बाद से लाभार्थी का निबंधन, भूटैगिंग, खाते की जांच आदि प्रक्रियाओं के पूरा होने में कई महीने लग जाते हैं.
पीएमएवाई-जी के तहत निर्मित होने वाले एक करोड़ आवासों में से 76 लाख लाभार्थियों को आवास आवंटित किये जा चुके हैं तथा लगभग 63 लाख लाभार्थियों ने धनराशि पहली किस्त प्राप्त कर ली है. 2017-18 के दौरान उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक आवासों का निर्माण हुआ है. मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं. ओडिशा, छत्तीसगढ़, राजस्थान, महाराष्ट्र, झारखंड आदि राज्यों में पीएमएवाई-जी के तहत सबसे अधिक लाभार्थी हैं. इन राज्यों में निर्धारित समयावधि में आवासो के निर्माण होने की संभावना है. अब तक 38.22 लाख पीएमएवाई-जी आवासों का निर्माण कार्य पूर्ण हो गया है. असम और बिहार में भी आवासों का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है और हमें सरकार को उम्मीद है कि जून, 2018 तक 60 लाख तथा दिसंबर, 2018 तक एक करोड़ पीएमएवाई-जी आवासों का निर्माण कार्य पूरा हो जाएगा.
2016-18 के दौरान राज्य सरकारों ने इलेक्ट्रानिक चेक के माध्यम से 1,92,58,246 लेन-देन किए हैं. इनका कुल मूल्य 65,237.50 करोड़ रुपये है, जो लाभार्थियों के खाते में जमा किए गए हैं. ग्रामीण विकास मंत्रालय ने पीएमएवाई-जी के तहत एक प्रदर्शन सूची विकसित की है. इस सूची से राज्य, जिला, प्रखंड और ग्राम पंचायत स्तर पर कार्यक्रम की प्रगति की निगरानी की जाती है. इस सूची से उन क्षेत्रों का भी पता चलता है जिसमें सुधार की जरूरत है. राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश के प्रदर्शन के आधार पर सूची में उनका स्थान निश्चित होता है. इस सूची को प्रतिदिन अपडेट किया जाता है.
आवास के गुणवत्तापूर्ण निर्माण के लिए प्रशिक्षित राजमिस्त्री की आवश्यकता होती है. इसके लिए ग्रामीण क्षेत्रों में ग्रामीण राजमिस्त्री प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू किए गए हैं. इस कार्यक्रम में 25,000 प्रशिक्षुओं का नामांकन हुआ है. इनमें से 12,500 प्रशिक्षुओं का प्रशिक्षण पूरा हो गया है तथा उन्हें प्रमाणपत्र भी दिया गया है. ग्रामीण राजमिस्त्री प्रशिक्षण कार्यक्रम 11 राज्यों में शुरू किए गए हैं. छ्त्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सबसे आगे हैं. मार्च, 2019 तक एक लाख ग्रामीण राजमिस्त्रियों को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य पूरा हो जाएगा. इससे ग्रामीण क्षेत्रों में अच्छी गुणवत्ता वाले आवासों का निर्माण संभव होगा. देश में कुशलता प्राप्त कर्मियों की उपलब्धता बढ़ेगी. प्रशिक्षित राजमिस्त्रियों को आजीविका के बेहतर अवसर मिलेंगे.
पीएमएवाई-जी के तहत बनने वाले प्रत्येक पक्के घर में शौचालय, गैस कनेक्शन, बिजली आपूर्ति, पेयजल आपूर्ति आदि सुविधाओं से ग्रामीण भारत की तस्वीर बहुत तेजी से बदल रही है. प्रौद्योगिकी का उपयोग गरीबों को सक्षम तथा सशक्त बनाने के लिए किया जा रहा है. यूएनडीपी-आईआईटी दिल्ली ने आवासों के विभिन्न डिजाइन तैयार किए हैं. 15 राज्यों के लिए स्थानीय जलवायु तथा स्थानीय निर्माण सामग्री को ध्यान में रखते हुए आवासों के 168 डिजाइन तैयार किए गए हैं. लाभार्थी इनमें से किसी भी डिजाइन का चयन कर सकता है. इन आवास डिजाइनों को केन्द्रीय आवास शोध संस्थान, रुडकी ने भी मंजूरी दी है. इन आवास डिजाइनों में लागत कम आती है तथा ये आपदा प्रतिरोधी भी हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में विभिन्न डिजाइन वाले आवासों का निर्माण हो रहा है. इससे ग्रामीण परिदृश्य से सुखद बदलाव हो रहा है. गरीब लोगों को रहने के लिए सुरक्षित आवास प्राप्त हो रहे हैं जहां वे सम्मान के साथ जीवन यापन कर सकते हैं.
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