भारत के बासमती चावल का स्वाद और खुशबू ऐसी है की अपने देश के लोग तो इसे पसंद करते ही हैं पर इसको विदेशी भी बड़े चाव से कहते हैं. इसी कारण हमारे देश के बासमती चावल के निर्यात दुनिया के कई बड़े देशों में होता है.
कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) द्वारा एकत्रित किए गए आंकड़ों से पता चलता है वित्त वर्ष 2017-18 में भारत का बासमती चावल निर्यात 26.87 अरब रुपये रहा है। इसमें पिछले वर्ष के 21.51 अरब रुपये के मुकाबले 23 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। अलबत्ता मात्रा के लिहाज से वर्ष 2017-18 के दौरान निर्यात केवल 40.6 लाख टन ही रहा जबकि पिछले वर्ष यह 39.8 लाख टन था।
अलबत्ता अप्रैल और जुलाई 2018 के बीच पहले चार महीने में मजबूत वृद्धि दर्ज कराने के बाद भारत के बासमती चावल निर्यात में कम से कम चालू वित्त वर्ष में तो मंदी के ही आसार नजर आ रहे हैं। दरअसल भारतीय बासमती चावल निर्यातकों को मुख्य रूप से ईरान जैसे देशों में लगभग पांच अरब रुपये मूल्य का भुगतान फंसने की समस्या का सामना करना पड़ा है। इक्रा के सहायक उपाध्यक्ष दीपक जोतवानी ने कहा कि कुछ विपरीत घटनाओं की वजह से कुछ प्रमुख निर्यात गंतव्यों में भारतीय बासमती चावल की निर्यात मांग को नुकसान पहुंच सकता है। इसलिए पूरी शृंखला की आमदनी पर दबाव है।
इस साल अप्रैल और जुलाई के बीच की अवधि में भारत से बासमती चावल निर्यात में 14 प्रतिशत की उछाल दर्ज हुई और यह बढ़कर 11.58 अरब रुपये रहा जबकि पिछले साल समान अवधि में यह 10.15 अरब रुपये था। हालांकि मात्रा के हिसाब से बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में 15.7 लाख टन पर लगभग स्थिर रहा। पिछले साल की समान अवधि में यह 15.6 लाख टन था। इस बीच यूरोपीय संघ (ईयू) द्वारा कीटनाशक अवशेषों के मानकों को कड़ा करने के परिणामस्वरूप इस क्षेत्र में निर्यात में काफी गिरावट आई है जो जनवरी-जुलाई की अवधि के दौरान मात्रा के हिसाब से 58 प्रतिशत और मूल्य के हिसाब से 40 प्रतिशत कम हुआ है। व्यापारिक सूत्रों को आशंका है कि भारत धीरे-धीरे लगभग 4,00,000 टन के यूरोपीय संघ के संपूर्ण बाजार को गंवा सकता है।
हालांकि यूरोपीय संघ को किए जाने वाले निर्यात में आई इस गिरावट की भरपाई ईरान द्वारा मजबूत खरीद से हो गई थी लेकिन घरेलू बासमती चावल निर्यातकों ने हाल ही में कुछ ईरानी आयातकों की ओर से भुगतान के मसलों का सामना करना पड़ा है। इसके अलावा ईरान पर अमेरिका द्वारा लगाए गए व्यापारिक प्रतिबंधों से भारत और ईरान के बीच व्यापार में बाधा पड़ सकती है। नवंबर 2018 में ये प्रतिबंध पूरी तरह से प्रभावी होंगे। अलबत्ता चालू वित्त वर्ष में ईरान को किए जाने वाले बासमती चावल निर्यात के बड़े नुकसान का डर कुछ कम हो गया है क्योंकि वित्त वर्ष 2019 के चार महीने के दौरान निर्यात वित्त वर्ष 2018 में किए गए निर्यात के 72 प्रतिशत के बराबर है। हालांकि आगे ईरान को किया जाने वाला निर्यात अनिश्चित और आकस्मिक ही रहेगा। यूरोपीय संघ के बाद सऊदी अरब की ओर से भी कीटनाशक अवशेष संबंधी मानक कड़े करने की चिंता बढ़ रही है। हालांकि इन दिशा-निर्देशों के संबंध में अभी तक कोई अंतिम आधिकारिक अधिसूचना नहीं दी गई है।
चंद्र मोहन, कृषि जागरण
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