ठंड के मौसम में हरी सब्जियों का बहार रहता है. वहीं, गोभी को एक लोकप्रिय सब्जी के रूप में जाना जाता है. क्रुसिफेरस परिवार से सम्बंधित यह सब्जी हमारे स्वास्थ के लिए भी लाभदायक होती है.
विशेषज्ञों के मुताबिक, कैंसर के रोकथाम में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है. इतना ही नहीं यह सब्जी दिल की ताकत को बढ़ाने और शरीर से कोलेस्ट्रोल कम करने में भी मदद करती है.
गोभी के कई प्रकार हमारे यहां उगाए जाते हैं. जैसे बंद गोभी, फूल गोभी और ब्रोकोली. ऐसे में गोभी वर्गीय फसल में लाल पत्ता गोभी की भी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है. इसके लाल रंग के कारण लोगों के बीच इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है. बड़े-बडे शहरों में शादी-पार्टी व अन्य अवसरों में इसे सलाद के रूप में इसको लोग खाते हैं. इस गोभी को आमतौर पर बड़े मॉल में उच्च स्तर की सब्जी मंडियों में बेचा जाता है. छोटे बाजारों में इसकी मांग कम होने के वजह से वहां कम देखने को मिलता है.
वहीं, अगर इसके गुणों की बात करें तो इसमें खनिज लवण, कैल्शियम, लोहा, प्रोटीन, कैलोरीज आदि अधिक मात्रा में मौजूद हैं. अगर आप इसे कच्चा खा रहे हैं, तो ब्लड प्रेशर के रोग से यह आपको मुक्ति दिला सकता है. इसके गुण व रंग के कारण ही इसकी बाजार में मांग हर दिन बढ़ती जा रही है, और इसके दाम भी अच्छे मिलते हैं.
आइए आज हम आपको लालपत्ता गोभी की किस्मों, उत्पादन और खेती की उन्नत तकनीक के बारे में जानकारी देंगे जिससे आप बेहतर उत्पादन कर अच्छी आमदनी कर सकेंगे.
लाल पत्ता गोभी की उन्नत किस्में (Improved varieties of red cabbage)
रेड-राक किस्म: यह किस्म आसानी से उगाई जाने वाली किस्मों में से एक है. इसके हैड 250-300 ग्राम वजन के होते हैं जो लाल रंग के होते हैं.
रेड-ड्रम हैड: यह किस्म आकार में बड़ी, अंदर से गहरी लाल और ठोस होती है. इसका वजन 500 ग्राम से 1.5 किलो तक का होता है.
लाल पत्ता गोभी की खेती करने के तरीके (Methods of Cultivation of Red Cabbage)
लाल पत्ता गोभी की उपज के लिए हल्की दोमट भूमि सबसे अच्छी रहती है. इसे हल्की चिकनी मिट्टी में भी उगाया जा सकता है. भूमि का पी.एच. मान 6.0-7.0 के बीच होना चाहिए तभी इसकी उपज सही मात्रा में हो सकेगी. इसकी खेती के लिए आवश्यक तापमान 20-30 डिग्री सेंटीगे्रड के बीच होना चाहिए. अधिक तापमान में इसका ऊपरी भाग स्वस्थ नहीं तैयार हो पाते.वहीं इसके बुवाई का समय मध्य सितंबर से लेकर मध्य नवंबर तक होता है. पत्ता गोभी की रोपाई के बाद हल्की सिंचाई करनी जरुरी है,ताकि भूमि में नमी बनी रहे. शीषों को पूर्ण विकसित होने पर ही इसकी कटाई करनी चाहिए. जल्द कटाई करने से इसके आकार में कमी आ जाती है.
लाल पत्ता गोभी की खेती करने के लिए खेतों को दो से तीन बार जुताई कर मिट्टी को भुरभुरा बनाना अनिवार्य हो जाता है, ताकि मिट्टी समान रूप से एक जैसी हो जाए और बुवाई करने में आसानी रहे. खेत में 8-10 दिन के अंतराल से जुताई करनी चाहिए, ताकि खेत में पिछली फसल के अवशेष, घासफूस व कीट पूर्ण रूप से नष्ट हो जाए. इसके बाद समान आकार की क्यारियां बनानी चाहिए.
बुवाई का तरीका (sowing method)
सामान्य गोभी जिसे हम फूल गोभी भी कहते हैं, वो मुख्य तौर पर बिहार, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, वेस्ट बंगाल, हरियाणा, और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में उगाया जाता है. वहीं लाल पत्ता गोभी की खेती कि बात करें, तो इसके लिए के लिए 400-500 ग्राम प्रति हैक्टेयर तथा 200-250 ग्राम प्रति एकड़ बीज की आवश्यकता होती है.
लाल पत्ता गोभी के बीज की बुवाई के लिए ऊंची पौधशाला में क्यारी तैयार करें तथा इस क्यारी में छोटी-छोटी 2-4 सेमी. दूरी की पंक्ति बनाकर 2-3 सेमी. की गहराई रखकर बीज 1-4 मि.मी. की दूरी पर बुवाई करें. इसके बाद इन पंक्तियों में पत्ती की सड़ी खाद या कम्पोस्ट बारीक करके हल्की परत देकर ढंक दें और हल्की सिंचाई करें. इस प्रकार से 20-25 दिनों में पौध तैयार हो जाती है.बीज को बोने के बाद जब पौधे 10-12 सेमीमीटर ऊंची हो जाए तो इसे क्यारियों में लगा दें.
क्यारियों में लगाते समय इनके बीच उचित दूरी का ध्यान अवश्य रखें, ताकि पौधों को विकसित और फैलने के लिए पर्याप्त स्थान मिल सके. इसके लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45-50 सेमी. एवं पौधे से पौधे की दूरी 30-35 सेमी. रखनी चाहिए.
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