मौजूदा वक्त में लोगों को एक राज्य से दूसरे राज्य में नौकरी हेतु भटकना पड़ता है. नतीजतन मूल राज्य की सरकार द्वारा मिल रही सुविधाओं में से कुछ सुविधाएं बंद हो जाती हैं. उन्हीं सुविधाओं में से एक सुविधा राशन कार्ड योजना की है. हालांकि केंद्र सरकार ने इस सुविधा से कोई वंचित न हो उसके लिए बड़ा फैसला किया है. दरअसल केंद्र सरकार ने एक राष्ट्र एक कार्ड योजना लागू किया है. जो शुक्रवार से शुरू हो चुकी है. इस योजना के तहत किसी भी प्रदेश का कार्ड धारक किसी भी राज्य में अपना राशन कार्ड दिखाकर राशन ले सकेगा.
केन्द्रीय खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने शुक्रवार को कहा कि बिहार और पंजाब सहित पांच और राज्य 'एक राष्ट्र- एक राशन कार्ड' योजना में शामिल हो गये हैं. इन्हें मिलाकर अब तक कुल 17 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 60 करोड़ लाभार्थियों को राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी का फायदा मिल रहा है. 'एक राष्ट्र- एक राशन कार्ड' पहल के तहत, पात्र लाभार्थी एक ही राशन कार्ड का उपयोग करते हुए देश के किसी भी राज्य में स्थित उचित मूल्य की दुकान से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के तहत अपने कोटे का खाद्यान्न प्राप्त कर सकते हैं. खाद्य मंत्रालय 1 जून से पूरे देश में इस सुविधा को लागू करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है.
पासवान ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘आज 5 और राज्यों - बिहार, यूपी, पंजाब, हिमाचल प्रदेश तथा दमन और दीव को ‘एक राष्ट्र - एक राशन कार्ड प्रणाली’ के साथ जोड़ा गया है.’’ उन्होंने कहा कि इस साल एक जनवरी को, 12 राज्य परस्पर एक दूसरे से जुड़े थे और अब 17 राज्य सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) की इस एकीकृत प्रबंधन व्यवस्था के तहत आ गये हैं. इन राज्यों की राशन व्यवस्था परस्पर एक दूसरे से जुड़ गई है. एक सरकारी बयान में कहा गया, ‘‘17 राज्यों और संघ शासित प्रदेशों के लगभग 60 करोड़ लाभार्थी राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी से लाभान्वित हो सकते हैं और वे मौजूदा राशन कार्ड का उपयोग करके सब्सिडी वाले खाद्यान्न खरीद सकते हैं.’’
आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात, महाराष्ट्र, हरियाणा, राजस्थान, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, गोवा, झारखंड और त्रिपुरा 12 राज्य हैं जहां राशन कार्ड पोर्टेबिलिटी लागू की गई है. इनमें लाभार्थी दूसरे राज्य में अपनी पात्रता का 50 प्रतिशत अनाज उठा सकते हैं. देश में 81 करोड़ से अधिक लाभार्थी एनएफएसए के तहत पंजीकृत हैं. इसके तहत प्रत्येक व्यक्ति को एक से तीन रुपये किलो की दर पर पांच किलो के सब्सिडी वाले खाद्यान्न उपलब्ध कराए जाते हैं. हाल ही में, सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र से कहा था कि वह कोरोनावायरस लॉकडाउन अवधि के दौरान प्रवासी श्रमिकों और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) को सब्सिडी युक्त खाद्यान्न प्राप्त करने योग्य बनाने के लिए अस्थायी रूप से 'एक राष्ट्र, एक राशन कार्ड' अपनाने की व्यवहारिकता पर गौर करे.
Share your comments