बिहार कृषि विश्वविद्यालय (सबौर) में रबी 2025-26 के लिए दो दिवसीय 30वीं अनुसंधान परिषद् बैठक (RCM) का शुभारंभ आज विश्वविद्यालय के मुख्य सभागार में हुआ। बैठक की अध्यक्षता माननीय कुलपति एवं अभिभावक डॉ. डी.आर. सिंह ने की। उद्घाटन सत्र में राष्ट्रीय स्तर के प्रख्यात वैज्ञानिक डॉ. राम भजन सिंह (पंतनगर) और डॉ. वाई. एस. शिवाय (आईसीएआर–आईएआरआई, नई दिल्ली) विशेष रूप से उपस्थित रहे।
बैठक का मुख्य उद्देश्य आगामी रबी सीजन की शोध दिशा तय करना और पिछले सत्र की उपलब्धियों की समीक्षा करना था।
विश्वविद्यालय की उपलब्धियां: 5 GI टैग, 31 पेटेंट प्राप्त
उद्घाटन सत्र की शुरुआत में निदेशक अनुसंधान, डॉ. ए.के. सिंह ने अतिथियों का स्वागत करते हुए विश्वविद्यालय की प्रभावशाली शोध उपलब्धियों का प्रस्तुतीकरण किया। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न फसलों में अब तक 48 उन्नत प्रजातियाँ विकसित की जा चुकी हैं। नवाचार के क्षेत्र में भी विश्वविद्यालय ने बड़ी सफलता हासिल की है; 5 उत्पादों को भौगोलिक संकेत (जीआई टैग) प्राप्त हो चुका है, जबकि 30 अन्य उत्पाद प्रक्रियाधीन हैं। इसके अतिरिक्त, विश्वविद्यालय को 31 पेटेंट, 20 कॉपीराइट और 1 ट्रेडमार्क प्राप्त हुए हैं। SABAGRI के तहत 174 स्टार्ट-अप्स को प्रशिक्षित किया गया, जिनमें से 71 को फंडिंग मिल चुकी है।
कुलपति डॉ. डी.आर. सिंह का विज़न
अपने अध्यक्षीय संबोधन में कुलपति डॉ. डी. आर. सिंह ने विश्वविद्यालय की अनुसंधान प्रगति पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने स्पष्ट निर्देश देते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर प्राप्त परियोजनाओं और NABL प्रयोगशालाओं के उत्कृष्ट कार्यों को और मजबूत करने की आवश्यकता है, ताकि ये प्रयोगशालाएं जल्द ही 'रेफरल लैब' के रूप में विकसित हो सकें।
डॉ. सिंह ने युवा वैज्ञानिकों और छात्रों को लागत कम, उत्पादन ज्यादा' विषय पर लोगो प्रतियोगिता आयोजित करने का सुझाव दिया, ताकि किसानों के लिए व्यावहारिक समाधान विकसित हो सकें। उन्होंने जोर देकर कहा कि ज़ोन आधारित परियोजनाओं और लोकेशन-विशिष्ट तकनीकों के विकास पर विशेष बल दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही, किशनगंज, बाँका एवं नवादा जैसे जिलों में KVK एवं AICRP की मदद से उत्पादन बढ़ाने की संभावनाओं पर कार्य करने की अनिवार्यता बताई। उन्होंने जैविक एवं प्राकृतिक खेती, डिजिटल सॉइल मैपिंग से रोजगार, और मखाना विकास बोर्ड की स्थापना हेतु अनुसंधान पर विशेष बल दिया। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर दूसरी हरित क्रांति में अग्रणी भूमिका निभाएगा।
विशेषज्ञों और महिला किसानों का अनुभव
जी बी पी यू ए टी, पंतनगर के डॉ. राम भजन सिंह ने शोध क्षेत्रों को प्रभावी ढंग से संबोधित करने के लिए विश्वविद्यालय की सराहना की और महिला कृषकों की भागीदारी को प्रेरणादायक बताया। वहीं, आईसीएआर–आईएआरआई, नई दिल्ली के डॉ. वाई.एस. शिवाय ने 'विकसित भारत 2047' के लक्ष्य की पूर्ति के लिए कृषि इनक्यूबेशन, शोध एवं शिक्षा के महत्व पर प्रकाश डाला।
इस दौरान प्रगतिशील महिला कृषकों- श्रीमती सीमा सिन्हा (जूट), श्रीमती रिंकू देवी (सब्जी उत्पादन), और श्रीमती अन्नू कुमारी (औषधीय पौधे)—ने अपने-अपने कृषि-जलवायु क्षेत्रों में खेती के सफल अनुभव साझा किए।
बैठक में विश्वविद्यालय के 8 प्रकाशनों का अनावरण भी किया गया, जिसमें “हां मैं बिहार हूँ, जी आई का हकदार हूँ” नामक जी आई आधारित कविता प्रमुख रही। तकनीकी सत्रों में ज़ोन-II (डॉ. अरुणिमा कुमारी), ज़ोन-IIIA (डॉ. एम.के. सिन्हा) और ज़ोन-IIIB (डॉ. एस.एन. दास) सहित विभिन्न महाविद्यालयों (जैसे DKAC किशनगंज, BPSAC पूर्णिया) और विभागों की विस्तृत शोध प्रगति प्रस्तुतियाँ दी गईं।
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