भारत के उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने कहा है कि अनुसंधान और वैज्ञानिक अभिनवों का उद्देश्य किसानों को लाभ पहुंचाना होना चाहिए। वे कानपुर में कृषि एवं प्रौद्योगिकी चन्द्र शेखर आजाद विश्वविद्यालय में 19वें दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक, उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि कृषि एवं प्रौद्योगिकी चंद्रशेखर आजाद विश्वविद्यालय, कानपुर ने 1893 में एक कृषि विद्यालय के रूप में अपनी यात्रा शुरू की थी, जो अब कृषि शिक्षा में अग्रणी भूमिका निभा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि इस संस्था ने अपनी स्थापना से ही गुणवत्ता शिक्षण और अनुसंधान की एक समृद्ध परंपरा बनाये रखी है।
उन्होंने कहा कि यहां विकसित खाद्यान्नों की बेहतर उपज वाली उन्नत किस्मों ने हरित क्रांति और हमारे देश में एक जीवंत कृषि क्षेत्र के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। कृषि भारतीयों की बुनियादी संस्कृति और हरित क्रांति ने हमें आत्मनिर्भर बनाने और बढ़ती आबादी के खाद्यान्न आपूर्ति में सक्षम किया है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि कृषि को लाभदायक और टिकाऊ बनाने के लिए बहु-आयामी दृष्टिकोण होना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि फसलों की विविधता को प्रोत्साहित करने के अलावा, ग्रामीण सड़कों, बिजली, कोल्ड स्टोरेज सुविधाओं, ग्रामीण गोदामों और प्रशीतन वाहनों के रूप में अवसंरचना प्रदान करने पर जोर दिया जाना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि किसानों को समय पर ऋण सुनिश्चित करने और कृषि पर सार्वजनिक खर्च में वृद्धि की भी आवश्यकता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि अब समय की मांग है कि हमारी कृषि प्रणाली स्थायी हो, क्योंकि कृषि भूमि में कोई वृद्धि नहीं होगी, जबकि खेती वाले परिवारों और उनकी जरूरतों में वृद्धि हो रही है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, कृषि सिंचाई योजना, फार्म यांत्रिकरण अभियान, राष्ट्रीय कृषि विपणन योजना, ग्रामीण भंडारण योजना और मृदा स्वास्थ्य कार्ड योजना जैसी कई कृषि एवं किसान कल्याण योजनाएं शुरू की गई हैं ताकि आजीविका सुरक्षा और खाद्य उत्पादन में वृद्धि हो। उन्होंने कहा कि किसानों को नई और अभिनव प्रौद्योगिकियों के लाभों से एक साधारण और सुगम भाषा में अवगत कराया जाना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने सभी नये स्नातकों को बधाई दी और उन्हें आशीर्वाद दिया। उन्होंने उन्हें गौतम बुद्ध के "आप्पो दीप्पो भव" के दर्शन का पालन करने की सलाह दी, जिसका अर्थ है: 'स्वयं में ही प्रकाश बनो', चूंकि बुद्धि का प्रकाश दोनों वास्तविक एवं शाब्दिक रूप में स्वयं आपको तथा पूरी मानवता को सफलता, शांति और समृद्धि के मार्ग का अनुसरण करने में सहायक हो सकता है।
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