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‘गर्मी की गहरी जुताई के महत्त्व’ को समझने के लिए KVK झालावाड़ में आयोजित किया गया असंस्थागत प्रशिक्षण

18 मई, 2024 के दिन कृषि विज्ञान केन्द्र, झालावाड़ द्वारा घड़ावली (मनोहरथाना) में ‘‘गर्मी की गहरी जुताई के महत्त्व’’ विषय पर असंस्थागत प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम में करीब 38 किसानों ने भाग लिया.

लोकेश निरवाल
‘‘गर्मी की गहरी जुताई के महत्त्व’’ विषय पर असंस्थागत प्रशिक्षण कार्यक्रम, फोटो साभार: KVK Jhalawar
‘‘गर्मी की गहरी जुताई के महत्त्व’’ विषय पर असंस्थागत प्रशिक्षण कार्यक्रम, फोटो साभार: KVK Jhalawar

मई महीने के शुरुआत से ही भीषण गर्मी पड़ रही है. ऐसे में किसानों को अपने खेत से लेकर फसल की पैदावार तक कई बातों का ध्यान रखना होता है. ताकि वह समय पर फसल से अच्छी कमाई कर सके. इसी क्रम में हाल ही में कृषि विज्ञान केन्द्र, झालावाड़ द्वारा घड़ावली (मनोहरथाना) में ‘‘गर्मी की गहरी जुताई के महत्त्व’’ विषय पर असंस्थागत प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया. ताकि किसान गर्मी के मौसम में खेत की गहरी जुताई के महत्व को समझ सके और अच्छा मुनाफा पा सके.

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि ‘‘गर्मी की गहरी जुताई के महत्त्व’’ विषय पर असंस्थागत प्रशिक्षण कार्यक्रम 18 मई, 2024 को आयोजित किया गया. आइए इस कार्यक्रम में क्या कुछ खास रहा इसके बारे में विस्तार से जानते हैं...

कार्यक्रम में किसानों ने लिया भाग

केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ. टी.सी. वर्मा ने बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्र, झालावाड़ द्वारा घड़ावली (मनोहरथाना) में ‘‘गर्मी की गहरी जुताई के महत्त्व’’ विषय पर असंस्थागत प्रशिक्षण 18 मई, 2024 को आयोजित किया गया जिसमें लगभग 38 कृषकों ने भाग लिया और गर्मी के मौसम में खेत से जुड़ी कई महत्वूपर्ण जानकारी प्राप्त की.

प्रशिक्षण प्रभारी डॉ. सेवाराम रूण्डला, विषय विशेषज्ञ ने असंस्थागत प्रशिक्षण विषय गर्मी की गहरी जुताई के महत्त्व के बारें में किसानों को विस्तार से परिचय कराते हुये बताया कि समय पर गर्मी की गहरी जुताई करने से खेतों में हानिकारक कीट और रोगों के अवशेषों का प्रबंधन, खरपतवार प्रबंधन एवं जल संरक्षण में सहायक होती है. इससे खरपतवारों के बीज नष्ट होने के साथ फसलों की प्रारंभिक अवस्था में खरपतवारों द्वारा होने वाले नुकसान से फसलों को बचाया जा सकता है.

गहरी जुताई करने की पहल

गहरी जुताई से वर्षा जल का उचित प्रबंधन किया जा सकता है, जिसके उपरांत फसलों को जीवनरक्षक सिंचाई में मदद मिलती है. “खेत का फसल अवशेष/कचरा खेत में, खेत का पानी खेत में” के सिद्धांत की पालना गहरी जुताई से ही संभव है.

अतः किसानों को जागरूकता रखते हुए गहरी जुताई करने की पहल करनी चाहिए ताकि टिकाऊ कृषि उत्पादन एवं मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन को परिलक्षित किया जा सके. साथ ही मृदा जांच हेतु उचित नमूना संग्रहण कर जांच करवाकर फसलों में पोषक तत्त्व प्रबंधन करना चाहिए.

English Summary: Program on deep summer plowing organized by Krishi Vigyan Kendra Jhalawar in Ghadavali Manoharthana KVK Jhalawar farmers Published on: 22 May 2024, 10:48 AM IST

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