प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 3 अगस्त 2024 को सुबह करीब 9.30 बजे राष्ट्रीय कृषि विज्ञान केंद्र (एनएएससी) परिसर, नई दिल्ली में कृषि अर्थशास्त्रियों के 32वें अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीएई) का उद्घाटन करेंगे. प्रधानमंत्री इस अवसर पर उपस्थित जनसमूह को भी संबोधित करेंगे. अंतर्राष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्री संघ द्वारा आयोजित यह त्रिवार्षिक सम्मेलन 02 से 07 अगस्त 2024 तक आयोजित किया जा रहा है. आईसीएई भारत में 65 वर्षों के बाद आयोजित किया जा रहा है.
इस वर्ष के सम्मेलन का विषय है, "टिकाऊ कृषि-खाद्य प्रणालियों के लिए परिवर्तन." इसका उद्देश्य जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक संसाधनों का क्षरण, बढ़ती उत्पादन लागत और संघर्ष जैसी वैश्विक चुनौतियों को देखते हुए टिकाऊ कृषि की तत्काल आवश्यकता से निपटना है. इस सम्मेलन में वैश्विक कृषि चुनौतियों के प्रति भारत के सक्रिय दृष्टिकोण पर प्रकाश डालने के साथ-साथ देश की कृषि अनुसंधान और नीति में हुई प्रगति को दर्शाया जाएगा.
आईसीएई 2024 युवा शोधकर्ताओं और अग्रणी पेशेवरों के लिए अपने काम को प्रस्तुत करने और वैश्विक साथियों के साथ नेटवर्क बनाने के लिए एक मंच के रूप में काम करेगा. इसका उद्देश्य अनुसंधान संस्थानों और विश्वविद्यालयों के बीच साझेदारी को मजबूत करना, राष्ट्रीय और वैश्विक दोनों स्तरों पर नीति निर्माण को प्रभावित करना और डिजिटल कृषि और टिकाऊ कृषि-खाद्य प्रणालियों में प्रगति सहित भारत की कृषि प्रगति को प्रदर्शित करना है. इस सम्मेलन में लगभग 75 देशों के लगभग 1,000 प्रतिनिधि भाग लेंगे.
ICAE 2024 की थीम: टिकाऊ कृषि-खाद्य प्रणालियों के लिए परिवर्तन
ICAE 2024 की थीम, "टिकाऊ कृषि-खाद्य प्रणालियों के लिए परिवर्तन" रखा गया है, जिसमें जलवायु परिवर्तन, भूमि क्षरण, जल की कमी, जैव विविधता की हानि और बढ़ती उत्पादन लागत जैसी वैश्विक चुनौतियों के सामने टिकाऊ कृषि प्रथाओं की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया जाएगा.
सम्मेलन में 45% महिलाएं लेंगी हिस्सा
आईसीएई 2024 की आयोजन सचिव और आईसीएआर की प्रधान वैज्ञानिक डॉ. स्मिता सिरोही ने कहा कि, "सम्मेलन में भाग लेने के लिए 75 देशों से 925 से अधिक प्रतिनिधियों ने पंजीकरण कराया है, जिनमें से 45% महिलाएं हैं. आयोजकों ने देश के कई युवा शोधकर्ताओं की उपस्थिति का समर्थन किया है. भारत के किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) और अन्य कृषि व्यवसायों को प्रदर्शित करने वाली प्रदर्शनियां भी होंगी.
मालूम हो कि 1929 से अंतर्राष्ट्रीय कृषि अर्थशास्त्रियों के संघ (IAAE) के प्रमुख कार्यक्रम के रूप में, ICAE लंबे समय से कृषि अर्थशास्त्र को आगे बढ़ाने और वैश्विक कृषि और खाद्य प्रणालियों की चुनौतियों का समाधान करने के लिए आधारशिला रहा है. यह सम्मेलन 1958 में मैसूर में आयोजित 10वें ICAE के 65 साल बाद भारत में आयोजित किया जा रहा है.
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