राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विवि द्वारा अंचल के किसानों की आय बढ़ाने के लिए दो साल पहले शुरू किया गया कड़कनाथ के पालन प्रयोग सफल साबित हुआ है। अंचल के मौसम में कड़कनाथ पूरी तरह सरवाइव कर रहा है। कृषि विज्ञान केंद्र ग्वालियर में झाबुआ से 100 चूजे लाकर इसकी शुरुआत की गई थी। अब कड़कनाथ (मुर्गी) का पालन वृहद रूप ले चुका है। किसानों को चूजे देने के लिए कृषि विवि ने हेचरी मशीन लगाई, जिसमें अंडे रखकर चूजे तैयार किए जा रहे हैं।
अंचल के 60 किसानों ने कड़कनाथ का पालन कर अपनी आमदनी में इजाफा किया है। झाबुआ में ग्वालियर की तुलना में गर्मियों में कम तापमान रहता है। इससे यह कहा जा रहा था कि ग्वालियर में कड़कनाथ शायद ही सरवाइव कर पाए। कड़कनाथ अन्य बायलर मुर्गे की तुलना में तीन गुना ज्यादा दाम में बिकता है। एक कड़कनाथ की कीमत 600 से 700 रुपए है। साथ ही कड़कनाथ के अंडे भी महंगे बिकते हैं। कड़कनाथ का पालन अंचल में ग्वालियर, श्योपुर, भिंड, मुरैना, शिवपुरी, दतिया, अशोकनगर व गुना में हो रहा है।
बनवार निवासी मलखान सिंह ने बताया कि उन्होंने 300 मुर्गे पाले हैं, जिनसे हर साल 5 लाख 50 हजार रुपए की आमदनी हो रही है। जबकि सामान्य मुर्गों से मात्र डेढ़ लाख रुपए सालाना आमदनी हो पा रही थी।
21 दिन में अंडे से हेचरी में बनते हैं चूजे
कृषि विज्ञान केंद्र में हेचरी में कड़कनाथ के अंडे रखकर चूजे तैयार किए जाते हैं। इसका कारण यह है कि कड़कनाथ मुर्गी अंडे देने के बाद उसके ऊपर नहीं बैठती। इससे चूजे तैयार नहीं हो पा रहे थे। इस बात को ध्यान में रखते हुए विवि ने लगभग 2.50 लाख रुपए खर्च कर हेचरी खरीदी है, जिसमें 500 चूजे हर माह तैयार होते हैं। इन्हें किसानों को दिया जाता है।
किसानों की आय बढ़ाने के लिए कड़कनाथ का प्रयोग सफल रहा। अंचल में 60 किसानों ने कड़कनाथ का पालन शुरू कर दिया है। इससे उनकी आमदनी बढ़ी है। डॉ. राजसिंह कुशवाह, प्रमुख, कृषि विज्ञान केंद्र ग्वालियर.
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