जहां एक तरफ नए कृषि कानूनों पर चल रहे किसानों के प्रदर्शन पर राजनीति गरम है वहीं दूसरी तरफ बिहार की नीतीश सरकार ने एक बड़ा फैसला लिया है. गौरतलब है कि बिहार सरकार (Bihar Government) ने धान के लिए 1868 रूपया न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित किया था, लेकिन बिहार के कई जिलों में सरकारी स्तर पर धान की खरीददारी शुरू नहीं हो पायी. ऐसी ही एक खबर गया जिले से भी आई थी. इसकी वजह से जरूरतमंद किसान बहुत कम दाम में धान बेचने को मजबूर हैं. यहां के किसान 1100 से 1350 रूपए प्रति किंवटल धान बेचने को मजबूर थे, जिसके बाद ऐसे व्यापार मंडलों पर सरकार कड़ा रुख अख्तियार करने जा रही है जिन्होंने धान की खरीदारी शुरू नहीं की है.
1000 से ज्यादा पैक्स और व्यापार मंडल पर सरकार सख्त
आपको बता दें कि बिहार के 1041 पैक्स और व्यापार मंडल के रवैये को देखते हुए नीतीश सरकार (Nitish Government) सख्त कार्रवाई करने जा रही है. जी हां, बिहार सरकार व्यापार मंडल और पैक्स को काली सूची में डाल सकते हैं. सरकार की तरफ से साफ-साफ कह दिया गया है कि अगर दिसंबर खत्म होने से पहले खरीदारी नहीं की तो फिर कभी नहीं कर पाओगे.
क्या बन सकती है कार्रवाई की वजह
दरअसल, नाराज सरकार ने विभिन्न जिलों के उन पैक्स और व्यापार मंडल कारर्वाई करने का मन बना लिया है जो किसानों से धान खरीदने में ढिलाई बरत रहे हैं. ऐसे व्यापार मंडलों के 31 दिसंबर तक का समय दिया गया है यानी इनके पास केवल 31 दिसंबर तक का अंतिम मौका है. अगर 31 दिसंबर 2020 तक ये पैक्स या व्यापार मंडल किसानों से धान खरीद शुरू नहीं करते हैं उन्हें ब्लैक लिस्टेट कर दिया जाएगा. इसका मतलब साफ है कि फिर इन्हें धान खरीद से अलग रखा जाएगा.
सरकार ने क्या दिए निर्देश
आपको बता दें कि मुख्य सचिव दीपक कुमार ने सहकारिता विभाग को ऐसे पैक्स और व्यापार मंडल को चिह्नित कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए है. मुख्य सचिव के निर्देश के बाद सहकारिता विभाग के सचिव विनय कुमार ने सभी डीएम को पत्र भेजा है. गौरतलब है कि 6216 पैक्स और व्यापार मंडलों में से 1041 में धान नहीं खरीद रहे हैं, जबकि 4977 पैक्स और 198 व्यापार मंडल धान खरीद रहे हैं.
कई जिलों में रेट से सस्ता बिक रहा था धान
आपको बता दें कि गया समेत कुछ जिलों से खबरें आ रही थी कि तय रेट से कम पर धान खरीदी जा रही थी. गया-फतेहपुर रोड पर दुकान चला रहे एक बिचौलिया ने खुद बताया कि लोग किसानों से मंसूरी धान 1100 रूपए और रूपाली धान 1350 रूपए प्रति किवंटल की दर से खरीद रहें हैं. इससे किसानों को नुकसान हो रहा है जबकि व्यापारी 25 से 50 रूपए मार्जिन ले रहे हैं.
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