प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की कामयाबी को लेकर भले केंद्र की मोदी सरकार हर तरफ ढोल पीट रही हो, लेकिन जमीनी हकीकत बहुत अलग है. सरकार के दावों और योजना के भुगतान के आंकड़ों में भारी असमानता है. देश की जानी-मानी ऑनलाइन न्यूज़ वेब पोर्टल द वायर ने दावा किया है कि योजना के करीब 50 फीसदी हिस्से से मात्र 30-45 जिलों को भुगतान किया गया है. द वायर द्वारा दायर किए गए सूचना के अधिकार के एक आवेदन से पता लगता है कि समय-सीमा काफी पहले निकलने के बाद भी किसानों के 5,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के दावों का भुगतान नहीं किया गया है.
प्राप्त जानकारी के मुताबिक तय दावों के मुकाबले किसानों को बहुत कम भुगतान हुआ है. दिसंबर 2018 के खरीफ मौसम के लिए किसानों को 2019 तक मात्र 9,799 करोड़ रूपये का ही भुगतान हुआ है, जबकि तय योजना के मुताबिक लक्ष्य कुल 14,813 करोड़ रुपये के अनुमानित भुगतान का था.
नहीं किया गया बीमा के दिशा-निर्देशों का पालनः
इस योजना के दिशा-निर्देशों के मुताबिक फसल कटने के दो महीने के भीतर दावों का भुगतान हर हाल में करने का वादा किया गया था. जिसके अनुसार किसानों को खरीफ 2018 के दावों का भुगतान अधिक से अधिक फरवरी 2019 तक हो जाना चाहिए था.
इस लक्ष्य के तहत लाया गया प्रधानमंत्री फसल बीमा योजनाः
1. इस योजना को लाने का मुख्य लक्ष्य प्राकृतिक आपदा, कीड़े और रोग की वजह से सरकार द्वारा अधिसूचित फसल में से किसी भी फसल की नुकसान की स्थिति में किसानों को बीमा कवर और वित्तीय सहायता देकर उसे नुकसान से बचाना है.
2. सरकार किसानों को खेती के लिए सहायता देकर उन्हें स्थायी आमदनी उपलब्ध कराना चाहती है.
3. बदलते हुए वक्त के साथ किसान कृषि में नवीन एवं आधुनिक पद्धतियां अपनाने एवं प्रोत्साहन देने के लिए.
4.कृषि हेतु ऋण की उपलब्धता सुनिश्चित करना.
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