भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, पुणे ने माना है कि मल द्वारा बनी खाद से प्याज की अच्छी पैदावार होती है। पुणे में एक प्रयोग के दौरान यह साबित किया जा सका कि रसायन एवं अन्य खादों की अपेक्षा मल अवशेष द्वारा निर्मित खाद से फसल उत्पादन अच्छा हुई है।
दरअसल महाराष्ट्र सरकार द्वारा आदिवासी विकास प्रोग्राम के मद्देनज़र इस अभियान को बढ़ाने का कार्य किया जा रहा है। इस दौरान कंपनियों को भी इसके प्रचलन बढ़ाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।
इस बीच पुणे में 6 वर्ग मीटर प्लाट में प्रयोग किए गए। बराबर क्षेत्रफल में प्याज की पौध लगाई गई जिसमें एक में गोबर की खाद की इस्तेमाल की गई थी तो वहीं दूसरे में गोबर के साथ में मल अवशेष खाद का प्रयोग किया गया था जबकि तीसरे में रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल किया गया था।
आईसीएआर- पुणे, उद्दान विभाग के प्रधान वैज्ञानिक अमरजीत गुप्ता बताते हैं कि परिणाम में देखा गया कि अन्य खादों की अपेक्षा मल अवशेष प्रयोग किए गए प्लाट में जो प्याज का वजन अच्छा था और आकार में बड़ा भी था।
तो इस प्रकार सफलता के बाद कवायद चल रही है कि मल को सीवर लाइन से इकट्ठा कर खाद बनाने का कार्य किया जाए। कंपनियों को प्रेरित किया जा रहा है कि वह किसानों के लिए इसकी खाद बनाकर बेचें। महाराष्ट्र में युनिसेफ के सलाहकार, जयंत देशपांडे का मानना है कि इस प्रकार मल की बनी खाद हानिकारक नहीं है।
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