भारत सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत किसानों को प्राकृतिक आपदाओं से फसल के खराब होने के कारण बीमा कवर दिया जाता है. उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले में रबी-खरीफ सीजन 2022 में फसलों को नुकसान से बचाने के लिए 22457 किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में अपना पंजीकरण कराया था. किसानों ने इसके लिए प्रीमियम की राशि 319.48 लाख रुपए भी जमा किए थे. फसलों को हुए नुकसान के बाद 965 किसानों को फसल बीमा से 23.38 लाख रुपए का लाभ दिया जा चुका है.
फसल बीमा के लाभार्थी
फसल बीमा योजना को लेकर सरकार द्वारा किसानों के बीच लगातार जागरूकता फैलाई जा रही है, जिससे कि किसानों को प्राकृतिक आपदाओं या किसी भी तरह से फसल के खराब होने की स्थिति में मदद किया जा सके. कोरोनाकाल के दौरान जनपद वाराणसी में 17537 लाभार्थी थे, लेकिन इस दौरान गेहूं की फसल को ओला और बारिश के चलते भारी नुकसान हुआ था. मौसम के जोखिम से 3255 किसानों को 191.60 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति भी मिली. 2021 में लाभ पाने वाले किसानों की संख्या 11176 रह गई, जबकि इस साल फसल नुकसान के चलते 965 किसानों को 23.38 लाख रुपए का मुआवजा भी मिला. वहीं यह संख्या अब 2022 में बढ़कर 22457 हो गई है.
फसल बीमा का लाभ
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत किसानों को मसूर, जौ, मटर, गेहूं, चना और सरसों के लिए प्रति हेक्टेयर बीमित राशि 1.5 प्रतिशत और आलू के लिए 5 प्रतिशत का प्रावधान है. क्रॉप कटिंग के लिए सबसे पहले ग्रामों का चयन होता है. वहीं सभी फसलों के लिए अलग-अलग रेंडम नंबर तय होता है. इसी आधार पर क्रॉप कटिंग होती है. कृषि विभाग के उपनिदेशक के मुताबिक चयनित खेत की फसल पकने पर निश्चित तिथि के बाद समबाहु त्रिभुज बनाकर फसल काटी जाती है और इस प्रकार ग्राम वार सूची के अनुसार क्राफ्ट कटिंग करके योजना का लाभ तय किया जाता है.
फसल बीमा योजना से मिला सहारा
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के एक लाभार्थी ने बताया कि उन्होंने दो हेक्टेयर में धान की खेती 2021 में की थी जिसमें उनका कुल ₹55000 खर्च आया था लेकिन अचानक से आई बाढ़ के चलते पूरी फसल बर्बाद हो गई. ऐसे में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के चलते उन्हें ₹70000 बीमा का लाभ मिला जिससे उनके नुकसान की पूर्ति हो गई.
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