तरबूज और खरबूज की खेती में वृद्धि के लिए रायपुर के इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में निप्रोग किये जा रहे है, पानी की उपयोगिता, कम जगह और साधन-संसाधन की कमी को देखते हुए इन फलों की खेती अलग तरीके से की जा रही है इस अनोखे तरीके से उत्पादन भी बढ़ाया जायगानदियों के किनारे की जाने वाली खेती को आसान करने के लिए यह अनोखा तरीका अपनाया गया है इससे खेतो की लगत भी काम होगी. अधिक पानी में होने वाली इस खेती को काम पानी में किया जा रहा है हलाकि जमीन पर ही बढ़ने वाले इन फलों को यहां बेलों पर लटकते हुए देखा जा सकता है।
रायपुर के आस-पास के किसानों को इस नई तकनीक का प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इस ने तरीके से किसानो की इनकम में भी बढ़ेगी तथा उत्पादन में वृद्धि होगी ज़मीं पर बढ़ने वाली फसल को बेलो पर लटकने से फसल में लगने वाली बीमारी को आसानी से परखा जा सकता है. इससे फसल में होने वाले नुकसान को भी देखा जा सकता है और समय रहते फसल को बचाया भी जा सकता है.
इस तरीके से नदियों के किनारे तथा उसके अस-पास लगी फसलों को खेतो में भी उसने से उपजाया जा सकता है. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है की ज़मीन में पड़े रहने के कारन फैसले ख़राब हो जाते है. अब इस तरीके से फसलों को नष्ट होने से बचाया जा सकता है. फसल के तोड़ने और सही जगह पर पहुंचाने के लिए बेल विधि सबसे ज्यादा कारगर साबित होगी इस
'विश्वविद्यालय ने तरबूज और खरबूज की खेती को बढ़ने के लिए यह तरीका अपना है इससे किसानो को कई फायदे होंगे, जैसे मजदूरी की समस्या से निजात, फसलों की देख-रेख में आसानी होगी और इसका किसानो को इसका प्रशिक्षण भी दिया जायगा.
- प्रियंका वर्मा
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