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अमृतकाल में आजीविका सुधार हेतु बागवानी के तीव्र विकास पर बीएयू में राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन

बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में 28-31 मई 2025 तक “अमृतकाल में आजीविका सुधार हेतु बागवानी के तीव्र विकास” विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित हुआ, जिसमें देशभर से विशेषज्ञों ने भाग लिया. सम्मेलन में बागवानी क्षेत्र की नवाचारपूर्ण रणनीतियों, GI उत्पादों, और सतत विकास पर विचार मंथन हुआ.

KJ Staff
Horticulture
“अमृतकाल में आजीविका सुधार हेतु बागवानी के तीव्र विकास”

“अमृतकाल में आजीविका सुधार हेतु बागवानी के तीव्र विकास” विषय पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन 28 से 31 मई 2025 तक बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर में किया जा रहा है. इस सम्मेलन में देशभर से प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों, नीतिनिर्माताओं और शिक्षाविदों ने भाग लिया. इसका उद्देश्य भारत में बागवानी क्षेत्र की वृद्धि के लिए नवाचारपूर्ण रणनीतियों और कार्ययोजना पर मंथन करना था.

आइए कार्यक्रम में क्या कुछ खास रहा इसके बारे में यहां जानते हैं...

कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख अतिथि

  • डॉ. संजय कुमार, अध्यक्ष, ASRB, नई दिल्ली (मुख्य अतिथि)
  • डॉ. एच. पी. सिंह, पूर्व उप-महानिदेशक (बागवानी), नई दिल्ली
  • डॉ. ए. आर. पाठक, पूर्व कुलपति, जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय
  • डॉ. एस. एन. झा, उप-महानिदेशक, कृषि अभियांत्रिकी, ICAR, नई दिल्ली
  • डॉ. आलोक के. सिक्का, भारत प्रतिनिधि, IWMI, नई दिल्ली
  • डॉ. बबिता सिंह, न्यासी, ASM फाउंडेशन
  • डॉ. फिज़ा अहमद, निदेशक, बीज एवं फार्म, बीएयू सबौर एवं आयोजन सचिव

उद्घाटन सत्र की प्रमुख बातें

मुख्य अतिथि डॉ. संजय कुमार ने उद्घाटन सत्र में कहा कि बागवानी राष्ट्र निर्माण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है. उन्होंने बताया कि बागवानी क्षेत्र प्रति इकाई क्षेत्रफल पर सबसे अधिक लाभ देता है और यह स्वागतयोग्य परिवर्तन है कि किसान पारंपरिक खाद्यान्न फसलों से हटकर उच्च मूल्य वाली बागवानी फसलों की ओर अग्रसर हो रहे हैं.

उन्होंने पारंपरिक पद्धतियों से आगे बढ़कर विपणन, ब्रांडिंग और उपरांत प्रसंस्करण (post-harvest processing) पर जोर दिया. उन्होंने क्षेत्रीय विशेषताओं को बढ़ावा देने और उपज के नुकसान को कम करने के लिए GI-विशिष्ट मॉल और खुदरा स्टोर स्थापित करने का सुझाव दिया. कुपोषण की समस्या पर भी उन्होंने बागवानी के विविधीकृत उपायों के माध्यम से एकीकृत समाधान की आवश्यकता पर बल दिया.

अन्य गणमान्यजनों के वक्तव्य

डॉ. एच. पी. सिंह ने 'विकसित भारत' पहल के अंतर्गत सामूहिक प्रयासों की आवश्यकता बताई और लचीली, अधिक उपज देने वाली, संसाधन-कुशल तकनीकों को अपनाने की बात कही. उन्होंने सम्मेलन के दौरान दिए जाने वाले प्रमुख विशेषज्ञ व्याख्यानों का भी परिचय दिया. डॉ. ए. आर. पाठक ने ASM फाउंडेशन के सदस्यों के योगदान की सराहना की और उनके देशभक्ति भाव को इस पावन अवसर पर याद किया. उत्कृष्ट योगदान के लिए सम्मान भी प्रदान किए गए.

डॉ. एस. एन. झा ने मखाना और लीची जैसी फसलों पर केंद्रित अनुसंधान की आवश्यकता को रेखांकित किया और विश्वविद्यालय-आधारित अनुसंधान को अधिक प्रभावी बनाने के लिए कार्यात्मक प्रजनन (functional breeding) की सिफारिश की. डॉ. आलोक के. सिक्का ने 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु एक रूपांतरणात्मक दृष्टिकोण अपनाने पर बल दिया. उन्होंने आर्थिक विकास और पर्यावरणीय स्थिरता के संतुलन की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि बागवानी कृषि GDP में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है. डॉ. फिज़ा अहमद, आयोजन सचिव ने विश्वविद्यालय की प्रमुख उपलब्धियों को साझा किया, जिनमें 19 पेटेंट, 1 ट्रेडमार्क, 56 किसान किस्मों का पंजीकरण तथा GI डाक टिकटों का जारी होना शामिल है.

सम्मेलन की अन्य मुख्य झलकियां

सम्मेलन के दौरान महत्वपूर्ण शोध पत्रिकाओं एवं प्रकाशनों का विमोचन किया गया तथा बागवानी क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले वैज्ञानिकों को सम्मानित किया गया. उद्घाटन सत्र का समापन इस सामूहिक संकल्प के साथ हुआ कि बागवानी के क्षेत्र में नवाचार, सततता एवं समावेशिता को बढ़ावा देकर ग्रामीण आजीविका को सशक्त किया जाएगा. सभी गणमान्य अतिथियों ने डॉ. डी. आर. सिंह, कुलपति, बिहार कृषि विश्वविद्यालय, सबौर के दूरदर्शी नेतृत्व और विश्वविद्यालय की शिक्षण, अनुसंधान, विस्तार और प्रशिक्षण कार्यक्रमों को नई दिशा देने में उनके योगदान की भूरि-भूरि प्रशंसा की.

English Summary: National conference organized at BAU on rapid development of horticulture for livelihood improvement in Amritkaal Published on: 28 May 2025, 05:49 PM IST

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