कोरोना काल में वीरान हो चुकी गलियों से आर्थिक बदहाली की बयार बही तो ऐसा लगा कि चौपट हो चुकी अर्थव्यवस्था को पटरी पर आने में बहुत समय लगेगा, लेकिन हमारे कर्मठ लोगों की मेहनत के बदौलत अतिशीघ्र ही अर्थव्यवस्था में राहत की भी बयार बही और देखते ही देखते ही सब कुछ दुरूस्त होना शुरू हो गया, लेकिन अब लगता है कि कोरोना की दूसरी लहर फिर से लोगों की आमद से गुलजार रहने वाली गलियों को वीरान करने पर आमादा हो चुकी है. कोरोना की दूसरी लहर फिर से अर्थव्यवस्था को चौपट करने पर आतुर है.
गौर करने वाली बात यह है कि जब कोरोना का कहर पूरी दुनिया में तलहका मचाने पर आमादा था, तो उस वक्त सबसे ज्यादा अगर कोई उद्योग प्रभावित हुआ था, तो वो था सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योग. यह तो आपको पता ही होगा कि देश की सर्वाधिक आबादी एमएसएमई सेक्टर से जुड़ी हुई है. उन सभी लोगों को जो आर्थिक तौर पर कमोजर हैं, एमएसएमई उन सभी लोगों को बड़ी संख्या में रोजगार उपलब्ध कराता है, लेकिन अभी इस सेक्टर को लेकर जो खबर सामने आ रही है, वो अच्छी नहीं है. समय आ चुका है कि समय रहते सरकार इस सेक्टर पर ध्यान दें. इस सेक्टर की इम्युनिटी बूस्टर को बढाया जाए अन्यथा देश की सर्वाधिक आबादी को इसके गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं.
हम ऐसा इसलिए लिख रहे हैं, चूंकि देश की सर्वाधिक आबादी को रोजगार उपलब्ध कराने वाले एमएसएमई सेक्टर में अभी कच्चे माल का अभाव है. इतना ही नहीं, बात यहीं खत्म हो जाती तो राहत की सांस भी ला सकती थी, लेकिन बताया तो यह भी जा रहा है कि एमएसएमई सेक्टर के पुराने ऑर्डर भी पूरे नहीं हो पा रहे हैं और तो और मौजूदा वक्त में जो कच्चे माल उपलब्ध है, उन्हें विलायत भी भेजा जा रहा है. अलबत्ता, यह विचित्र बिडंबना है.
यह समय की जरूरत है कि कोरोना काल के इस चुनौतिपूर्ण समय में बम अपने आपको संबल बनाए, लेकिन हम इसकी जगह अपने आपको कमोजर करने का काम कर रहे हैं. अगर यह सिलसिला यूं ही जारी तो फिर हमें भयावह स्थिति से रूबरू होना होगा, लिहाजा एमएसएमई सेक्टर से जुड़े लोग अब सरकार से अतिशीघ्र कच्चे माल उपलब्ध कराने की गुहार लगा रहे हैं.
वहीं, फेडरेशन ऑफ इंडियन स्मॉल मीडियम इंटरप्राइजेज के महासचिव अनिल भारद्वाज ने कहा कि पुराने दरों पर लिए गए कच्चे माल की कीमतों में इजाफा होने की वजह से हम अपने पुराने ऑर्डर को पूरा करने में असमर्थ हैं. इससे हमारा उत्पादन प्रभावित हो रहा है और पूंजी की भी कमी हो रही है. खैर, अब देखना यह होगा कि सरकार इसे लेकर क्या कुछ कदम उठाती है.
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