नई दिल्ली, 12 अक्टूबर: भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के मरीन प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (एमपीईडीए) ने कुल समुद्री निर्यात में मूल्यवर्धित उत्पादों के हिस्से को 17 प्रतिशत से बढ़ाकर 30 प्रतिशत करने के प्रयास के तहत गुजरात में समुद्री खाद्य क्षेत्र के हितधारकों के साथ अपनी तरह की पहली बैठक आयोजित की।
गुरुवार को सोमनाथ में आयोजित बैठक में गुजरात राज्य सरकार के अधिकारियों, जलीय कृषि किसानों, निर्यातकों और हैचरी मालिकों ने भाग लिया।
इस आयोजन में 20 से ज्यादा एक्वाकल्चर किसानों ने हिस्सा लिया। इस आयोजन ने निर्यातकों के साथ सीधे संबंध स्थापित करने के लिए एक मंच भी प्रदान किया।
एमपीईडीए के अध्यक्ष डॉ. ए. जयतिलक ने कहा कि ऐसी बैठकों से किसानों को सीधे लाभ मिलेगा और उन्हें बिचैलियों की मदद नहीं लेनी पड़ेगी।
अपने संबोधन के दौरान अध्यक्ष ने कहा, ‘‘2016-17 में समुद्री खाद्य निर्यात 5.8 अरब अमरीकी डालर तक पहुंच गया। चालू वित्त वर्ष में भी इसकी प्रवृत्ति उत्साहवर्धक है और इसमें 10 फीसदी से 12 फीसदी की बढ़ोतरी होने की संभावना है।’
एमपीईडीए ने नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल एक्वाकल्चर (एनएसीएसए) के तहत देश भर में 600 किसान समूहों का निर्माण किया है।
डॉ. जयतिलक ने कहा, ‘‘ये समूह पूरी तरह से एमपीईडीए के मार्गदर्शन में काम कर रहे हैं और वे गुणवत्ता वाले समुद्री उत्पादों का निर्यात करने में हमारी मदद करेंगे। इसके अलावा, इसका सेटअप ऐसा है कि इससे फार्म में गुणवत्ता का शत प्रतिशत पता लगाया जा सकता है। इस तरह की पहल से समुद्री खाद्य के निर्यात को काफी प्रोत्साहन मिलेगा।‘
वेरावल के जिला कलेक्टर डॉ.. अजय कुमार ने भी इस आयोजन के दौरान बात की। औपचारिक बैठक के बाद क्रेता-विक्रेता की बातचीत हुई।
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