किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार तरह-तरह की योजनाएं लेकर आती रहती हैं. इन्हीं योजनाओं में मोदी सरकार ने एक और कड़ी (योजना) जोड़ी है. अब मोदी सरकार किसान और खेती को और समृद्ध बनाने के लिए किसानों को ग्रुप (समूह) में 15-15 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देगी. किसानों को इस स्कीम का लाभ उठाने के लिए एक कंपनी या किसान उत्पादक संगठन (FPO-Farmer Producer Organisation) बनाना पड़ेगा. सरकार की तरफ से 10,000 किसानों को इसकी स्वीकृत दे दी गई है. इस योजना पर आगे के 5 साल में 4,496 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. किसान संगठन का आवेदन एक कंपनी के तर्ज पर किया जा सकेगा और मिलने वाले सारे फायदे इसी रजिस्टर्ड कंपनी या संगठन को दिया जाएगा. इस संगठन की ख़ास बात यह होगी कि इस पर कंपनियों की तरह कॉपरेटिव एक्ट नहीं लागू होगा.
लघु व सीमांत किसानों को मिलेगा सीधा फायदा
किसान उत्पादक संगठन में जुड़े लोग और लघु व सीमांत किसानों के समूह को न केवल अपनी उपज को बेचने के लिए बाजार मिलेगा बल्कि वे खाद, बीज, दवाइयों और कृषि उपकरण (यंत्र ) को भी आसानी से खरीद सकेगें. ये सभी सेवाएं सस्ती होने के साथ ही बिचौलियों के मकड़जाल से भी मुक्ति दिलाएंगी. बता दें यदि किसान अकेले अपनी फसल को बेचता है तो ज्यादातर मुनाफा बिचौलियों को ही मिलता है.इस सिस्टम के माध्यम से किसान को उसके उत्पाद का भाव मिलेगा.
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि 10,000 नए एफपीओ 2019-20 से लेकर 2023-24 तक बनाए जाएंगे. जिससे किसानों की सामूहिक शक्ति बढ़ेगी.
इस प्रकार मिलेंगे 15 लाख रुपए
राष्ट्रीय किसान महासंघ के संस्थापक सदस्य विनोद आनंद का कहना है कि सबसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने किसान उत्पादक संगठन बनाने के लिए जाने माने अर्थशास्त्री डॉ वाईके अलघ के नेतृत्व में एक कमेटी का गठन किया था. इसके तहत न्यूनतम 11 किसान मिलकर एग्रीकल्चर कंपनी या संगठन का निर्माण कर सकते थे. मोदी सरकार द्वारा दिए जा रहे 15-15 लाख रुपए इन्हीं संघठनों के काम को देखकर दिया जाएगा. इन संघठनों के काम का आकलन पिछले तीन साल को ध्यान में रखकर किया जाएगा.
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