बीते साल मेंथा तेल का भाव अच्छा मिलने के चलते किसानों ने इस साल मेंथा की खेती में काफी ज्यादा दिलचस्पी भी दिखाई है, ऐसा करने से उत्पादन में करीब 10 फीसदी का इजाफा हुआ है. इसके अलावा मेंथा की औद्योगिक मांग कमजोर बनी हुई है जिसके कारण इसकी कीमतों पर लगातार दबाव बना हुआ है. बता दें कि भारत दुनिया में प्राकृतिक मेंथा तेल का सबसे बड़ा उत्पादक है और साथ ही दुनिया के कुल उत्पादन में भारत का तकरीबन 80 फीसद योगदान है. खास बात यह है कि देश के कुल उत्पादन का करीब 75 फीसदी मेंथा तेल भारत खुद निर्यात करता है. इसकी बाहर के दोशों में काफी डिमांड है.
पिछले साल के मुकाबले ज्यादा उत्पादन
उत्तर प्रदेश के एक मेंथा कारोबारी ने बताया कि इस साल देश में मेंथा तेल का उत्पादन तकरीबन 50 हजार टन ही है. जोकि पिछले साल के मुकाबले 10 फीसदी ज्यादा है, देश में सबसे ज्यादा मेंथा का उत्पादन उत्तर प्रदेश में ही होता है बाद में मध्यप्रदेश में भी इसकी ज्यादा खेती होने लगी है. कारोबारियों की मानें तो पिछले साल मेंथा तेल का भाव जहां 1800 से 1900 रूपये प्रति किलो तक चला गया था वहीं इस समय पर इसका भाव 1240-45 रूपये प्रति किलो चला गया है.
जल्द आएगी नई फसल की आवक
कुछ सालों से कृत्रिम मेंथा ऑयल का इस्तेमाल तेजी से बढ़ा है जिसके चलते प्राकृतिक मेंथा तेल के दाम में गिरावट आई है. वही कारोबारियों का कहना है कि मध्यप्रदेश में अगले महीने मेंथा की नई फसल भी आने वाली है जिससे सप्लाई और ज्यादा बढ़ जाने से कीमतोंम पर दबाव बना रहेगा. साथ ही देश के सबसे बड़े कमोडिटी वायदा बाजार में भी यह 1204 रूपये प्रतिकिलो पर जाकर ही बंद हुआ था जबकि पिछले साल मेंथा तेल का वायदा भाव 1846 रूपये प्रति किलो पर था.
वैश्विक मंदी बन रही वजह
इस समय वैश्विक मंदी के कारण मेंथा तेल की औद्योगिक मांग काफी कमजोर बताई जा रही है जबकि सप्लाई काफी ज्यादा रहती है जिससे मेंथा तेल के उत्पादकों को उनके उत्पादों का भाव बेहतर नहीं मिल रहा है. उन्होंने बताया कि दो साल पहले जर्मनी केमिकल कंपनी बारफ की एरोमा प्लांट में आग लगाने के बाद उत्पाद की सप्लाई प्रभावित हो जाने से भारत से प्राकृतिक मेंथा तेल की मांग में जोरदार इजाफा हुआ था.
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