देश में मैला ढोने वालों के रूप में रोजगार पनप रहा है जिसे कम करने के लिए केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावरचन्द गहलोत की अध्यक्षता में एक बैठक की गई। यह ‘मैला ढोने वालों के रूप में रोजगार पर रोक और उनके पुनर्वास कानून-2013’ के कार्यान्वयन की समीक्षा के लिए केन्द्रीय निगरानी समिति की 5वीं बैठक थी। इस दौरान सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले, मंत्रालय में सचिव लता कृष्ण राव और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। बैठक में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष, राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग के अध्यक्ष, सांसद, समिति में शामिल गैर-सरकारी सदस्य, केन्द्रीय मंत्रालयों/विभागों और राज्य सरकारों/संघ शासित प्रशासनों के प्रतिनिधि तथा मैला ढोने वालों/सफाई कर्मियों के कल्याण के लिए काम कर रहे सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी हिस्सा लिया।
ज्ञात हो कि मैला ढोने वालों के रूप में रोजगार पर रोक व पुनर्वास कानून को संसद ने सितम्बर 2013 में बनाया और यह दिसम्बर 2014 में अमल में आया। इसका उद्देश्य मैला ढोने की प्रथा को पूरी तरह समाप्त करना और पहचाने गए मैला ढोने वालों का विस्तृत पुनर्वास करना है। सरकार मैला ढोने की प्रथा को निर्धारित समय के आधार पर समाप्त करना चाहती है जिसके लिए राज्य सरकारों से आग्रह किया गया है कि वे मैला ढोने की प्रथा कानून 2013 के प्रावधानों को लागू करें। बैठक में सिफारिश की गई कि मैला ढोने वालों की तेजी से पहचान के लिए सर्वेक्षण दिशा-निर्देशों को सरल बनाया जाए।
समीक्षा बैठक में भारत में मैला ढोने की प्रथा और इससे जुड़े कानून-2013 के बारे में विचार-विमर्श किया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जो भी व्यक्ति मल-मूत्र उठा रहा है उसकी पहचान कर उसे मैला ढोने वालों की सूची में शामिल किया जाए। बैठक में इस बारे में भी चर्चा की गई कि पहचाने गए मैला ढोने वालों के पुनर्वास के लिए स्व–रोजगार योजना का कार्यान्वयन किया जाए जिसके अंतर्गत एक बार नकद सहायता प्रदान करना कौशल विकास प्रशिक्षण और ऋण सब्सिडी देना शामिल है।
सदस्यों को जानकारी दी गई कि राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त और विकास निगम (एनएसकेएफडीसी) ने मैला ढोने वालों और उनके आश्रितों को कौशल विकास प्रशिक्षण देने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए अनेक जागरूकता शिविर लगाए हैं ताकि उन्हें उचित रोजगार मिल सके अथवा वे स्व–रोजगार कार्य शुरू कर सकें।
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