मक्का की एक नई किस्म इलाहाबाद स्थित सैम हिगिनबॉटम कृषि विश्वविद्दालय के वैज्ञानिक शैलेश मार्कर ने विकसित की है। यह शैट्स मक्का-2 किस्म अन्य किस्मों के मुकाबले अधिक उपज देगी। इस सफेद बीज वाली किस्म को विकसित करने के लिए वैज्ञानिक शैलेश ने मैक्सिको ,अन्तर्राष्ट्रीय मक्का एवं गेहूं सुधार केंद्र से जर्मप्लास्म मंगवाया था।
यह किस्म 85-90 के मध्य तैयार होने वाली किस्म है। जो कि प्रति हैक्टेयर 35-40 क्विंटल की उपज देती है साथ ही कई मक्का में होने वाली कुछ पत्ती झुलसा रोगों के लिए प्रतिरोधक क्षमता रखती है। इसके किस्म के बारे में वैज्ञानिक शैलेश का मानना है कि यह लगातार तीन-चार साल तक उपयोग किया जा सकता है। जबकि इसका सफेद आटा होने के कारण इसे गेहूं के आटे में मिला सकते हैं जिससे कई प्रकार के उत्पाद बनाए जा सकेंगे। इसके अतिरिक्त प्रोफेसर शैलेश का मानना है कि इसका हरा चारा भी पशुओं के लिए उपयोग कर सकते हैं।
इस अनुसंधान के लिए उन्हें संस्थान के कुलपति प्रोफेसर बी.लाल एवं निदेशक, शोध प्रोफेसर एस.बी लाल से मदद मिली जिन्होंने उन्हें इस अनुसंधान के लिए प्रेरित किया। उत्तर प्रदेश कृषि विभाग ने इसे पूरे प्रदेश में विभिन्न जगहों पर लगातार तीन साल तक प्रयोग किया जिस दौरान यह सिद्ध की जा सकी। इसके बाद इसे अब किसानों को बुवाई के लिए स्वीकृति दे दी गई है।
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