खरीफ फसल की बुवाई के लिए किसान बारिश का इंतजार करता है, जिसके बाद ही वह फसल की बुवाई शुरू करता है. इस बार मानसून के आने में देरी हुई है, जिसके चलते फसल की बुवाई भी देर से शुरू की गई है, हो सकता है इसका प्रभाव फसल की गुणवत्ता पर भी देखने को मिले, अब मानसून लगभग देश के सभी हिस्सों में दस्तक दे चुका है. महाराष्ट्र में भी बारिश का सिलसिला जारी है, जिसके बाद किसान भी फसल की बुवाई में जुट गए हैं.
किसान इन बातों का रखें ध्यान (Farmers have to note these points)
महाराष्ट्र में मानसून की बारिश के बाद मौसम विभाग ने किसानों को फसल बुवाई के लिए अनुमती दे दी है, लेकिन किसानों को इन बातों का विशेष ध्यान रखना होगा.
विशेषज्ञों का मानना है कि खरीफ फसल अच्छी उत्पादकता के लिए बुवाई से पहले 75 से 100 मिमी बारिश होने तक का इंतजार करना चाहिए.
विशेषज्ञों ने किसानों को 15 जुलाई तक खरीफ की फसल की बुवाई का आश्वासन दिया है तथा तय समय पर फसल की बुवाई करने पर फसल की उत्पादकता पर कोई भी नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा.
किसानों को विशेषज्ञों की तरफ से सलाह दी जा रही है कि वह बुवाई से पहले मिट्टी की जांच करा लें, ताकि जरूरत के अनुसार खाद – उर्वरकों को खेत में डाल पाएं.
दालों की फसल में दिखेगा असर (pulse crops will be also affected)
महाराष्ट्र में देर से मानसून ने दस्तक दी है. ऐसे में किसानों ने प्रमुख दलहनी फसलों जैसे उड़द, तूर, मूंग आदि की फसल की बुवाई नहीं करने का फैसला लिया है, क्योंकि उनका मानना है कि बारिश में देरी के चलते दालों की पैदावार अच्छी गुणवत्ता वाली नहीं होगी और बाजार में भी दालों का सही मुल्य किसानों को नहीं मिल पाएगा.
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उत्तर भारत में भी मानसून जल्द देगा दस्तक (Monsoon will soon knock in North India)
उत्तर भारत मानसून के आने में थोड़ी देरी है. ऐसे में किसान बुवाई के लिए थोड़ा इंतजार कर लें. किसान खेतों को तैयार कर लें और बारिश के बाद बुवाई शुरू कर लें. यदि खेत पहले से ही तैयार रहेंगे, तो किसानों को खरीफ फसल की बुवाई में कम समय लगेगा.
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