मिलेट्स पुनरोद्धार कार्यक्रम 2024-25 के अंतर्गत मिलेट्स गैलरी का शुभारंभ कृषि भवन बलिया में किया गया. कार्यक्रम का शुभारंभ ओजस्वी राज, मुख्य विकास अधिकारी बलिया के द्वारा फीता काटकर किया गया. गैलरी के माध्यम से जनपद के किसानों को श्री अन्न की फसलों की खेती मिलेट्स प्रोसेसिंग और मूल्य संवर्धन से संबंधित जानकारी उपलब्ध कराया जाएगा और श्री अन्न के अधिकार अधिक उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा.
मानव शरीर पर होने वाले दुष्प्रभाव को कम करने और बीमारियों को दूर भगाने के लिए श्री अन्न के प्रयोग से संबंधित जानकारी के लिए आज से गैलरी को किसानों के लिए खोल दिया गया, जिसमें किसानों के ज्ञानवर्धन हेतु श्री अन्न की पुस्तिकाएं साहित्य वितरण और उचित परामर्श उपलब्ध कराया जाएगा. उप कृषि निदेशक मनीष कुमार सिंह के द्वारा अवगत कराया गया कि जनपद के किसानों के लिए मिलेट्स गैलरी प्रत्येक कार्य दिवस में खुली रहेगी. मिनट्स के विषय में किसानों को मुख्य विकास अधिकारी एवं अप कृषि निदेशक विशेष प्रकाश डालते हुए कहा कि इंटरनेशनल मिलेट ईयर का उद्देश्य बदलती जलवायु परिस्थितियों में मिलेट्स अनाज के पोषण और स्वास्थ्य लाभ और इसकी खेती के लिए मिलेट्स उपयुक्तता के बारे में जागरूकता बढ़ाना है. विश्व में स्वास्थ्य में मिलेट्स अनाजों के महत्व को समझा है. मिलेट्स की बढ़ती लोकप्रियता के कारण किसानों के लिए इसे उगना ज्यादा लाभकारी होता जा रहा है. मिलेट्स कम पानी और कम उपजाऊ भूमि में भी उगाये जा सकते हैं और दाम भी गेहूं से अधिक मिलता है. मिलेट्स अनाज पर विशेष ध्यान दिया जाने लगा है और मिलेट्स की खेती के ज्ञान को आदान-प्रदान में भारत को विश्व का नेतृत्व करने में समर्थन दिया जाना है.
मिलेट्स एक स्मार्ट खाद्य पदार्थ है. सुपर फूड की उपलब्धता के इस युग में मिलेट्स का एक विशिष्ट स्थान है. इसकी खेती करने में आसानी होती है, लगभग ऑर्गेनिक जैविक होते हैं इनमें अच्छी पोशाक गुण होते हैं. उपभोक्ता के लिए स्वास्थ्यकारी वह कुछ सबसे बड़ी पोषण और स्वास्थ्य समस्याओं आयरन, जिंक, फोलिक एसिड, कैल्शियम, डायबिटीज को दूर करने में सहायता कर सकते हैं. धरती के लिए लाभकारी मिलेट्स शुष्क और जलवायु में जीवित रहने में सक्षम रहते हैं और जलवायु परिवर्तन से निपटने में महत्वपूर्ण होते हैं.
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किसानों के लिए अच्छा मिलेट्स तीन गुना तक उपज बढ़ा सकते हैं. इसके भोजन, चारा, ईंधन कई उपयोग किए जा सकते हैं और आमतौर पर सुख के समय खड़ी आखिरी फसल होती है, जो किसानों के लिए एक अच्छी रिस्क मैनेजमेंट की रणनीति होती है.
लेखक: रबीन्द्रनाथ चौबे, ब्यूरो चीफ, कृषि जागरण, बलिया, उत्तरप्रदेश
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