किसान भाइयों आज तक धान की भूसी से आपने बिजली, तेल, ईंट आदि तो बनते जरूर सुना होगा लेकिन क्या आपने ये सुना था कि धान की भूसी से गगनचुम्बी इमारतें भी बनेंगी. लेकिन आज हम आपको बताने जा रहें हैं धान का कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ में इंजीनियरिंग के छात्रों के बारे में, जिन्होंने इस कारनामें को सच कर दिखाया है.
इससे कांक्रीट में पड़ने वाली रेत और सीमेंट की मात्रा घटाई जा सकेगी। निर्माण में मजबूती उतनी ही दमदार रहेगी और लागत 20 फीसद तक घट जाएगी। आइटी कॉलेज कोरबा में सिविल इंजीनियरिंग के इन छात्र-छात्राओं ने दरअसल धान की भूसी और संयंत्रों की भट्ठी से निकलने वाली राख को गारे के रूप में इस्तेमाल कर कांक्रीट का नया फॉर्मूला ईजाद किया है।
कॉलेज के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर विजय कुमार केडिया ने बताया कि छात्रों द्वारा तैयार की गई कांक्रीट पारंपरिक कांक्रीट की तुलना में उतनी ही मजबूत है। इस विधि में रेत और सीमेंट की मात्रा कम करके इनकी जगह धान की भूसी और संयंत्रों से निकलने वाली राख का इस्तेमाल किया गया। गारे में भूसी और राख को बराबर मात्रा में मिलाया गया।
दोनों का हिस्सा 10-10 फीसद रखा गया। साथ ही ईंट के टुकड़े मिलाए गए। इससे गारे में पड़ने वाली रेत और सीमेंट की मात्रा 10-10 फीसद कम हो गई। प्रो. केडिया का दावा है कि इस विधि के इस्तेमाल से निर्माण की लागत परंपरागत विधि के मुकाबले करीब 20 फीसद तक कम हो गई। छात्रों ने फिलहाल इस क्रांकीट का इस्तेमाल कर ऐसे ढांचे बनाए हैं, जिन्हें जोड़कर दीवार, पार्टीशन आदि बनाए जा सकते हैं।
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