कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने कृषि, पशु पालन, डेयरी, मत्स्य और कुक्कुट पालन में अधिक से अधिक महिलाओं को शामिल करने पर आज जोर देते हुए कहा कि इससे न केवल पारिवारिक आर्थिक खुशहाली बढ़ेगी बल्कि उनका कौशल विकास भी होगा।
सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर यहां राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम की ओर से ‘महिला सहकारिताओं का सुदृढ़ीकरण’ विषय पर आयोजित कार्यशाला के समापन सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि 2011 की जनगणना के अनुसार देश की कुल महिला कर्मियों में से 65 प्रतिशत कृषि कार्यों में लगी हुई हैं तथा कुल किसानों में से 30:3 प्रतिशत किसान हैं। उन्होंने कहा कि देश के ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में महिलाएं कृषि, पशुपालन, डेयरी मत्स्य और कुक्कुट पालन में लगी हुई हैं। जिन परिवारों की महिलाएं ऐसे कार्यों में जुटी हैं उनकी न केवल आर्थिक स्थिति सुदृढ़ है बल्कि उनमें कौशल विकास भी हुआ है। वर्ष 2016.217 में अपना रोजगार चलाने के लिए लगभग 3 लाख महिलाओं को विभिन्न कार्यो का प्रशिक्षण दिया गया है।
कृषि मंत्री ने कहा कि कौशल विकास मंत्रालय के साथ एक समझौता किया गया है और इसके तहत 100 कृषि विज्ञान केन्द्रों में कौशल विकास केन्द्र खोले जाएंगे जहां 200 घेटे का प्रशिक्षण दिया जाएगा। अगले साल तक सभी 668 कृषि विज्ञान केन्द्रों में यह सुविधा उपलब्ध करा दी जाएगी। सिंह ने कहा कि सभी कृषि विज्ञान केन्द्रों में एक महिला वैज्ञानिक की नियुक्ति अनिवार्य कर दी गई है और अब तक 400 केन्द्रों में ऐसी नियुक्ति कर दी गई है। उन्होंने कहा कि महिला वैज्ञानिकों की मशरूम उत्पादन में विशेष रूचि है और उन्होंने बडे पैमाने पर इसके लिए महिलाओं को प्रशिक्षण भी दिया है। उन्होंने कहा कि गांवों में बडे पैमाने पर महिलाएं बकरी और भेड तथा अन्य छोटे जानवरों के पालन में लगी हैं और संगठित रूप से इसके पालन को बढावा देने के लिए सोसाइटी का गठन किए जाने की जरूरत है। सहकारिता क्षेत्र को इस दिशा में पहल करने की आवश्यकता है और इसके लिए अर्थिक मदद देने की जरूरत है।
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