KVK Mahendragarh: चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार के विस्तार विभाग कृषि विज्ञान केंद्र, महेंद्रगढ़ व कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के सहयोग से सोमवार (26.02.2023) को प्राकृतिक खेती विषय पर गांव बुडीन में एक दिवसीय जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया. यहां किसानों को खेती-बाड़ी और प्राकृतिक खेती के जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई. जागरूकता शिविर के दौरान किसानों को संबोधित करते हुए केंद्र के मृदा वैज्ञानिक डॉ. राजपाल यादव ने बताया की प्राकृतिक खेती वर्तमान समय की मांग है.
प्राकृतिक खेती में विभिन्न आदान जैसे बीजामृत, जीवामृत, नीमास्त, दसपर्णी अर्क आदि का उपयोग किया जाता है. साथ ही खरपतवार नियंत्रण, पानी की बचत आदि के लिए मल्चिंग का उपयोग व महत्व के बारे में विस्तारपूर्वक चर्चा की.
वहीं, सहायक मिट्टी जांच अधिकारी डॉ. बहराम यादव ने बताया की देश की आजादी के बाद हमारा मुख्य प्रयास लोगों को खाद्यान्न सुरक्षा प्रदान करने के लिए खाद्यान्नों का उत्पादन बढ़ाने पर केन्द्रित रहा. देश ने 1960-70 के दशक में हरित क्रान्ति लाकर इसे प्राप्त करने में भी सफलता हासिल की. लेकिन इसके परिणामस्वरूप खेती में रसायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों आदि रसायनों का प्रयोग बहुत ज्यादा बढ़ गया. आज स्थिति ऐसी बन गई है कि इन जहरीले रसायनों के अंधाधुंध प्रयोग से यह भूमि, जल व पर्यावरण में घुलने के साथ खाद्य श्रृंखला (फूड चेन) में प्रवेश कर गए हैं, जो मानव जाति में गंभीर बीमारियों का कारण बन रहे हैं.
उन्होंने कहा कृषि उत्पादों की गुणवत्ता के आधार पर किसान अंतरराष्ट्रीय बाजार में इन्हे बेचकर अच्छी आमदनी हासिल कर सकते हैं. इस जागरूकता शिविर में खण्ड कृषि अधिकारी डॉ. गजानन्द शर्मा, कृषि विकास अधिकारी मनोज डाबला और सत्यप्रकाश व गांव बुडीन के लगभग 75 किसानों ने भाग लिया.
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