स्वस्थ मिट्टी के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने और मिट्टी की गुणवत्ता (Soil Quality) को बढ़ाने के लिए हर साल 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाया जाता है. इस दिवस को मनाने के लिए कृषि जागरण ने 5 दिसंबर को एक वेबिनार का आयोजन किया.
बता दें कि पूरे कृषि उद्योग के विभिन्न व्यक्तियों ने यहां जुड़कर अपने विचार साझा किए. इस वेबिनार को कृषि जागरण के फेसबुक पेज पर लाइव आयोजित किया गया. इस कार्यक्रम की शुरुआत मध्य प्रदेश के ढेवाल के एक प्रगतिशील किसान रवींद्र चौधरी (Ravindra Choudhary, a progressive farmer from Dhewal, Madhya Pradesh) के साथ हुई, जिन्होंने हमें बताया कि वह सोयाबीन, मक्का, गेहूं, आलू, प्याज और यहां तक कि लहसुन की खेती करते हैं.
मध्य प्रदेश के सभी किसानों का प्रतिनिधित्व करते हुए उन्होंने कहा, "राज्य के किसान बहुत प्रगतिशील हैं और मछली पालन (Fish Farming) और पशुपालन (Animal Husbandry) जैसी संबद्ध गतिविधियों के एकीकरण के साथ कई फसलों की खेती करते हैं."
उन्होंने यह भी कहा कि वह इस वेबिनार की प्रतीक्षा कर रहे हैं, जहां क्षेत्र के विशेषज्ञ मिट्टी में लवणता (Salinity in the soil) की समस्या के प्रबंधन पर अपने बहुमूल्य ज्ञान को साझा करके उनके जैसे किसानों की मदद करेंगे.
इस वेबिनार के दौरान इज़राइल केमिकल लिमिटेड के चीफ एग्रोनोमिस्ट संजय नैथानी (Sanjay Nathani, Chief Agronomist, Israel Chemicals Ltd.) ने कहा कि “भारत के पास लगभग 68 मिलियन हेक्टेयर भूमि है, जिसमें अधिकांश भूमि लवणता से प्रभावित है. लेकिन, अगर हम नियमित रूप से इस मिट्टी का परीक्षण करते हैं और कम मात्रा में रसायनों का उपयोग करते हैं तो हम इस भूमि को कृषि के लिए अधिक उपजाऊ बना सकते हैं.
संजय नैथानी हाइलाइट्स:
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मिट्टी की लवणता एक गंभीर मामला है.
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यह हम सभी को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करेगा.
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मिट्टी पर कुछ भी प्रयोग करने से पहले हमें हमेशा विशेषज्ञ की राय लेनी चाहिए.
आर.के. गोयल, बिजनेस डायरेक्टर साउथ एशिया- साउथ ईस्ट एशिया, साइटोज़ाइम वर्डेसियन यूएसए (RK Goyal, Business Director South Asia - South East Asia, Cytozyme Verdesian USA) ने अच्छी उपज के लिए स्वस्थ मिट्टी के महत्व पर प्रकाश डाला. उन्होंने कहा, "एक किसान को अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए 3 चीजों की आवश्यकता होती है, जिनमें शामिल हैं: बेहतर गुणवत्ता वाले बीज, उपजाऊ मिट्टी और उर्वरक."
सरकार उर्वरकों की खरीद पर कई सब्सिडी देती है, लेकिन अंधाधुंध उपयोग से मिट्टी में लवणता का स्तर भी बढ़ सकता है. इसलिए गोयल कहते हैं, "यह महत्वपूर्ण है कि किसानों को जागरूक किया जाए कि स्वस्थ मिट्टी को बनाए रखने के लिए वास्तव में कितने उर्वरक की आवश्यकता है."
डॉ ए.के. राय, प्रधान वैज्ञानिक (मृदा विज्ञान), भाकृअनुप-केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल हरियाणा (Dr. A.K. Rai, Principal Scientist (Soil Science), ICAR-Central Soil Salinity Research Institute, Karnal Haryana) इस वेबिनार में एक अन्य सम्मानित पैनलिस्ट थे. उन्होंने किसानों के लिए कुछ बहुत ही महत्वपूर्ण जानकारी साझा की. उन्होंने कहा, "मृदा लवणता एक बड़ी समस्या है जो सीधे भूमि उत्पादकता को प्रभावित करती है."
लवणीय मिट्टी की पहचान करने का सबसे आसान तरीका मिट्टी के ऊपर सफेद रंग की परत बनना है, लेकिन इस तरह हम मिट्टी में छिपी लवणता की पहचान नहीं कर पाएंगे और ऐसी मिट्टी (छिपी हुई लवणता के साथ) अधिक खतरनाक है. खाली धान की फली इस मिट्टी की विशेषता है. ऐसे में किसानों को भारी नुकसान होगा.
डॉ. ए.के. राय ने इस समस्या का सामना कर रहे किसानों से अनुरोध किया कि वे अपने नजदीकी केवीके में जाएं और अपनी मिट्टी की लवणता की जांच करवाएं. उन्होंने कहा कि "यदि भारत में सभी निम्नीकृत भूमि को दोबारा प्राप्त कर लिया जाए, तो हम लगभग 11-12 मीट्रिक टन अधिक उपज प्राप्त कर सकते हैं."
इनके अलावा अशोक के पात्रा, निदेशक, भाकृअनुप-भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, ए.के. नायक, प्रधान वैज्ञानिक (Ashok K Patra, Director, ICAR-Indian Institute of Soil Science, A.K. Nayak, Principal Scientist) और प्रमुख आईसीएआर- राष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक - उड़ीसा, डॉ अरविंद कुमार शुक्ला (Head ICAR - National Rice Research Institute, Cuttack - Orissa, Dr. Arvind Kumar Shukla), परियोजना समन्वयक, आईसीएआर- भारतीय मृदा विज्ञान संस्थान, भोपाल, मध्य प्रदेश, डॉ नितिन पचलानिया (Project Coordinator, ICAR- Indian Institute of Soil Science, Bhopal, Madhya Pradesh, Dr. Nitin Pachlania) ने भी वेबिनार में अपना ज्ञान साझा किया.
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