1. Home
  2. ख़बरें

जानिए : आखिर आज क्यों मनाया जा रहा है राष्ट्रीय दुग्ध दिवस

दूध ईश्वर ने इस संसार के प्राणियों के लिए एक ऐसी नियामत बनाई है, जिसकी जरुरत हर किसी को है. इस संसार में कोई प्राणी जन्म लेता है तो उसका पहला भोजन दूध ही होता है. फिर चाहे मानव जाती की बात हो या किसी अन्य प्राणी की. आज विश्व में बड़े स्तर पर दूध का उत्पादन हो रहा है. भारत ने विश्वस्तर पर दूध उत्पादन से अपनी एक अलग ख्याति बनाई है.

दूध ईश्वर ने इस संसार के प्राणियों के लिए एक ऐसी नियामत बनाई है, जिसकी जरुरत हर किसी को है. इस संसार में कोई प्राणी जन्म लेता है तो उसका पहला भोजन दूध ही होता है. फिर चाहे मानव जाती की बात हो या किसी अन्य प्राणी की. आज विश्व में बड़े स्तर पर दूध का उत्पादन हो रहा है. भारत ने विश्वस्तर पर दूध उत्पादन से अपनी एक अलग ख्याति बनाई है. भारत आज दूध उत्पादन में विश्व में दूसरे स्तर पर है और आज राष्ट्रीय दुग्ध दिवस मना रहा है लेकिन बहुत कम लोग जानते है कि आज के दिन भारत में राष्ट्रीय दुग्ध दिवस क्यों मनाया जाता है.

क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय दुग्ध दिवस:

भारत हमेशा से ही कृषि पर निर्भर देश रहा है क्योंकि देश की 60 प्रतिशत जनता ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करती है, जिनकी अर्थव्यवस्था ग्रामीण रोजगार पर निर्भर करती है. खेती और पशुपालन ही ऐसे दो ग्रामीण उद्योग धंधे है जिनसे ग्रामीण रोजगार चलता है. आजादी के बाद भारत एक विकासशील देश की श्रेणी में आ चुका था उस समय देश की आर्थिक व्यवस्था को मजबूती देने की जरुरत थी. इस आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाने के लिए जरुरी था कृषि क्षेत्र का मजबूत होना. दूध उत्पादन इसका एक अहम हिस्सा था जिसको मजबूत किया जाना बहुत जरुरी था. भारतीय किसानों को दूध उत्पादन में संपन्न बनाने का जिम्मा उठाया डॉ.वर्घिश कुरियन ने. उन्होंने भारत के दूध उत्पादन को एक नयी दिशा देने का काम किया. यही से भारत में श्वेत क्रांति की शुरुआत हुई और डॉ.कुरियन को श्वेत क्रांति का जनक कहा जाने लगा. उनके कामों की वजह से ही 26 नवम्बर को डॉ.कुरियन के जन्मदिवस को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के रूप में मनाया जाने लगा. उनका जन्म 26 नवम्बर 1921 में हुआ था.  

डॉ.कुरियन ने 1940 में लोयोला कॉलेज मद्रास से साइंस में अपनी स्नातक पूरी करने के बाद मैकेनिकल इंजीनियरिंग में स्नातक किया. वो बतौर इंजिनियर आर्मी ज्वाइन करना चाहते थे. लेकिन किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था. उन्होंने भारत सरकार द्वारा दी जाने वाली स्कालरशिप के लिए अप्लाई कर दिया. जहाँ पर उनको डेरी इंजीनियरिंग में काम करने और सीखने का मौका मिला. इसके बाद उन्होंने इम्पीरियल इंस्टिट्यूट ऑफ़ एनिमल हसबेंडरी बंगलौर में लगभग 9 महीने का समय व्यतीत किया इसके बाद उनको अमेरिका में डेयरी संबधी कुछ प्रोजेक्ट पर काम करने का मौका मिला.

यही से उनकी जिंदगी ने नए मोड़ लेने शुरू कर दिए. देश में दूध उत्पादन हो रहा था, लेकिन उस समय न तो दूध को कोई खरीदने वाला था और न ही इससे लाभ कमाने का कुछ और तरीका किसानों को समझ आ रहा था, अपने स्कॉलरशिप पर डॉ.कुरियन गुजरात के आनंद में दौरे पर गए जहाँ पर वो कैरा डिस्ट्रिक्ट कोआपरेटिव मिल्क प्रोडूसर के फाउंडर त्रिभुवनदास पटेल के साथ कम करने का मौका मिला. यही से भारत में श्वेत क्रांति का पहला कदम रखा गया. त्रिभुवनदास और डॉ.कुरियन ने यहाँ से कोआपरेटिव सोसाइटी की शुरुआत की . इस प्लांट की स्थापना साल 1960 में की गयी. साल 1965 में भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने इस प्लांट का दौरा किया. जिससे वो काफी प्रभावित हुए. लाल बहादुर शास्त्री ने डॉ. कुरियन द्वारा शुरू किये गए आनंद डेयरी पैटर्न को राष्ट्रीय स्तर पर शुरू करने की सलाह दी. इसके बाद नेशनल डेरी डेवलपमेंट बोर्ड की स्थापना की गई. नेशनल डेरी डेवलपमेंट बोर्ड की स्थापना के बाद देश में दुग्ध उत्पादन और पशुपालको की स्थिति में सुधार के लिए काम करना शुरू किया गया. इसी के साथ दुग्ध उत्पादन को वाणिज्यिक रूप दिया गया. डॉ.कुरियन के द्वारा देश के सबसे बड़े दुग्ध उत्पादन ब्रांड अमूल की शुरुआत की गयी. इसके अलावा वो इंस्टिट्यूट ऑफ़ रूरल मैनेजमेंट आनंद की शुरुआत की गयी. भारत के दूध उत्पादन को मजबूत स्थिति में लेकर आने के लिए डॉ. कुरियन को कई राष्ट्रीय और अन्तराष्ट्रीय पुरुस्कारों से सम्मानित किया गया. उनको वर्ल्ड फ़ूड प्राइज, आर्डर ऑफ़ एग्रीकल्चर मेरिट, पदम् विभूषण, पदम् भूषण, पदम् श्री और रमन मग्शेसे जैसे अवार्ड्स से सम्मानित किया गया. 1998 तक आते-आते भारत ने विश्व के बड़े दुग्ध उत्पादक देश के रूप में अपना नाम दर्ज करा लिया. इस समय भारत अमेरिका के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश बन गया. भारत 1,30,000 डेरी कोआपरेटिव के साथ सोसाइटीज के साथ 60.6 बिलियन किलोग्राम दूध उत्पादन के साथ विश्व में दूसरे  स्थान पर काबिज है. 

90 के दशक में भारतीय दुग्ध उत्पादन बाजार ने अपना एक स्थान बना लिया और विश्वस्तर पर इस व्यवसाय को बढ़ावा दिया. यह डॉ. कुरियन की मेहनत ही थी कि दुग्ध उत्पादन में उन्होंने भारत को एक एक नई पहचान दिलाई. जिसकी बदौलत आज भारत ने विश्वभर में दूध की पूर्ती कर रहा है. इंडियन डेरी एसोसिएशन ने 2014 में डॉ. कुरियन के जन्मदिवस को राष्ट्रीय दुग्ध दिवस घोषित कर दिया. 

English Summary: Know: Why is the national milking day being celebrated today? Published on: 26 November 2017, 02:58 AM IST

Like this article?

Hey! I am . Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News