1. Home
  2. ख़बरें

International Family Day 2020: पलायन ने गांवों से भी खत्म कर दिए संयुक्त परिवार, इसलिए बढ़ा रहा है आर्थिक बोझ

15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस के रूप में पूरे विश्व में मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मुख्य लक्ष्य लोगों को संयुक्त परिवार के महत्व और परिवार की जरुरतों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का समझाना है. समय के साथ संयुक्त परिवार कम ही देखने को मिलते हैं. लोगों की जीवनशैली में बदलाव आया है, रोजगार और संभावनाओं की तलाश ने पलायन को तेज कर दिया है, जिस कारण ग्रामीण क्षेत्रों में भी संयुक्त परिवार खत्म होते जा रहे हैं. एकल परिवार या न्यूक्लियर फैमिली में रहने के कुछ फायदें तो जरूर हैं, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि लोग अकेले रहने के कारण अवसाद, परेशानी और डिप्रेशन के शिकार होने लगे हैं. उचित मार्गदर्शन के अभाव में बच्चे राह भटकने लगे हैं, जिस कारण समाज में अपराध बढ़ रहा है.

सिप्पू कुमार

15 मई को अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस के रूप में पूरे विश्व में मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का मुख्य लक्ष्य लोगों को संयुक्त परिवार के महत्व और परिवार की जरुरतों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का समझाना है. समय के साथ संयुक्त परिवार कम ही देखने को मिलते हैं. लोगों की जीवनशैली में बदलाव आया है, रोजगार और संभावनाओं की तलाश ने पलायन को तेज कर दिया है, जिस कारण ग्रामीण क्षेत्रों में भी संयुक्त परिवार खत्म होते जा रहे हैं. एकल परिवार या न्यूक्लियर फैमिली में रहने के कुछ फायदें तो जरूर हैं, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि लोग अकेले रहने के कारण अवसाद, परेशानी और डिप्रेशन के शिकार होने लगे हैं. उचित मार्गदर्शन के अभाव में बच्चे राह भटकने लगे हैं, जिस कारण समाज में अपराध बढ़ रहा है.

बदल रही है परंपरा

एक समय था, जब लोग एक दूसरे की परवाह करते थे. बड़े से बड़े समारोह, शादी-विवाह आदि कार्यक्रमों में घर के लोग मिल बांटकर कार्य कर लेते थे. लेकिन आज के समय में हर काम के लिए आदमी बाजार की तरफ भाग रहा है.

बढ़ा रहा है आर्थिक बोझ

लोग आर्थिक रूप से संपन्न होने के लिए एकल परिवार परंपरा को अपना रहे हैं, लेकिन सत्य तो यही है कि संयुक्त परिवार में आर्थिक समस्याओं का आसानी से समाधान हो जाता है. कमाया हुआ पैसा भी किस तरह खर्च करना है या बचाना है, इस बात को बताने वाला कोई बुजुर्ग नहीं है. अनुभव के अभाव में लोग जगह-जगह ठगे जा रहे हैं.

मानसिक स्थिरता हो रही है प्रभावित

आज के लोग जरा-जरा सी बात पर क्रोधित हो जाते हैं. अच्छी उम्र में आने के बाद भी मानसिक रूप से परिपक्व नही हो पाते. वहीं दूसरी तरफ कम उम्र में ही जिम्मेदारियों का पूरा बोझ एक आदमी पर आने लगा है, जिस कारण लोगों की मानसिक सेहत खराब होती जा रही है. एक संयुक्त परिवार से आने वाले बच्चे किसी एकल परिवार के बच्चों के मुकाबले ज्यादा सामाजिक होते हैं. उन्हें विभिन्न आयु वर्ग के लोगों से बातचीत करना आता है. वो समाज के किसी भी अंग (बच्चों, बूढ़ों एवं युवाओं) के साथ मिलनसार होते हैं.

सत्य तो यही है कि परिवार ही असली पूंजी है. परिवार का साथ हर संकट से लड़ने की शक्ति देता है. ऐसे में लोगों को समझने की जरूरत है कि परिवार से अलग होना कोई समझदारी का काम नहीं है. अवसरों का लाभ उठाना सही है, अच्छे रोजगार की तलाश कारण भी बुरा नहीं है, लेकिन जीवन में नौकरी या नौकरी से संबंधित किसी भी तरह की चिंता परिवार से ऊपर नहीं होनी चाहिए.

(आपको हमारी खबर कैसी लगी? इस बारे में अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर दें. इसी तरह अगर आप पशुपालन, किसानी, सरकारी योजनाओं आदि के बारे में जानकारी चाहते हैं, तो वो भी बताएं. आपके हर संभव सवाल का जवाब कृषि जागरण देने की कोशिश करेगा)

English Summary: joint family culture is about to vanished that is why crime enhance in our society Published on: 15 May 2020, 12:05 PM IST

Like this article?

Hey! I am सिप्पू कुमार. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News