उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित भा.कृ.अनु.प.-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान द्वारा वाराणसी के बड़ागाँव ब्लॉक के हरिपुर गाँव में परवल क्षेत्र दिवस-सह-किसान गोष्ठी का आयोजन किया. इस मौके पर डॉ. ए. के. सिंह, उप महानिदेशक (बागवानी विज्ञान), भारतीय कृषि अनुसन्धान कृषि परिषद्, नई दिल्ली ने इस कार्यक्रम का उद्घाटन किया. डॉ. सिंह ने भा.कृ.अनु.प.-आईआईवीआर के वैज्ञानिकों और आस-पास के गाँवों के लगभग 100 सब्जी उत्पादकों के साथ गाँव में संस्थान द्वारा विकसित की गई परवल की किस्मों के प्रदर्शन क्षेत्र का दौरा किया. डॉ. सिंह ने जोर देकर कहा कि पूर्वी उत्तर प्रदेश और विशेष रूप से वाराणसी, मिर्जापुर, गाजीपुर और बलिया में परवल उगाने की बहुत संभावनाए हैं, लेकिन स्थानीय खेती में कम उपज और अधिक रोग के संक्रमण के कारण इस फसल को कम क्षेत्र में उगाया जा रहा है.
डॉ. पी. एम. सिंह, प्रमुख, फसल सुधार विभाग ने कहा कि संस्थान द्वारा 3 आशाजनक किस्मों - काशी अलंकार, काशी सुफल और काशी अमूल्य का विकास और विमोचन करने का निर्देश दिया गया है. डॉ. सिंह ने कहा कि उच्च उपज (औसत उत्पादकता 230 क्विंटल प्रति हेक्टेयर) और गुणवत्ता के कारण, इन किस्मों को पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार में उत्पादकों द्वारा व्यापक रूप से स्वीकार किया जा रहा है.
उन्होंने आगे कहा कि इसकी स्थापना के बाद से संस्थान द्वारा उत्पादन और संरक्षण प्रौद्योगिकियों के साथ 27 सब्जी फसलों में लगभग 102 उन्नत किस्में/संकर विकसित किए गए हैं.किसानों ने इस अवसर के दौरान भा.कृ.अनु.प.-आईआईवीआर विकसित प्रौद्योगिकियों के अपने अनुभव और सफलता सफलताओं को भी साझा किया.
तकनीकी सत्र के दौरान, सब्जी की खेती में किसानों की समस्याओं पर चर्चा की गई और वैज्ञानिकों द्वारा शीघ्र समाधान प्रदान किए गए. इस कार्यक्रम में आस-पास के क्षेत्र से किसानों ने हिस्सा लिया. किसानों को इस दौरान परवल की खेती के विषय में पूरी जानकारी दी गयी.हालांकि डॉ. ए.के. सिंह ने यह अपने वक्तव्य में कहा कि परवल कि खेती को इस क्षेत्र में बढ़ाया जाना आवश्यक है. इस कार्यक्रम में किसानों को परवल कि नयी प्रजातियों के बारे में भी पता चला. इस कर्यक्रम में महिला किसानो ने भी हिस्सा लिया.
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