Ethanol Production: भारतीय चीनी मिल संघ (ISMA) ने सरकार को चालू सत्र में एथेनॉल उत्पादन के लिए अतिरिक्त 10-12 लाख टन चीनी के डायवर्जन की मंजूरी देने का अनुरोध किया है. चीनी के अधिक उत्पादन के अनुमान के बीच ISMA ने यह मांग रखी है. दरअसल, महाराष्ट्र और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में सूखे के कारण चीनी उत्पादन में संभावित गिरावट को देखते हुए सरकार ने चालू 2023-24 सत्र में एथेनॉल बनाने के लिए चीनी डायवर्जन की सीमा 17 लाख टन तय कर दी है. ISMA ने बताया कि चालू सत्र में 15 जनवरी तक चीनी मिलों ने 149.52 लाख टन चीनी का उत्पादन किया है, जो एक साल पहले की समान अवधि के 157.87 लाख टन से 5.28% कम है.
अतिरिक्त चीनी के इस्तेमाल को मंजूरी दे सरकार
ISMA की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि खबरों के अनुसार हालिया मौसम गन्ने की खड़ी फसल के लिए अनुकूल रहा है और उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे प्रमुख राज्यों के गन्ना आयुक्तों ने चीनी सत्र 2023-24 के लिए अपने चीनी उत्पादन अनुमानों में संशोधन करते हुए इसमें 5-10% तक बढ़ोतरी की है. ISMA का मानना है कि चालू वर्ष में चीनी उत्पादन पहले की उम्मीद की अपेक्षा कहीं अधिक हो सकता है. ऐसे में इस्मा ने सरकार से एथेनॉल उत्पादन (Ethanol Production) के लिए अतिरिक्त 10-12 लाख टन चीनी के उपयोग की अनुमति देने का अनुरोध किया है. इसमें कहा गया है, एथेनॉल के उत्पादन के लिए अतिरिक्त चीनी उपयोग करने की अनुमति देने के बाद भी चीनी शेष अगले सत्र में कुछ महीनों के लिए पर्याप्त होगा.
एथेनॉल के लिए प्रोत्साहन की घोषणा करें सरकार
इस्मा ने सरकार से एथेनॉल (Ethanol) आपूर्ति वर्ष 2023-24 (नवंबर-अक्टूबर) के लिए गन्ना रस, सिरप, बी-भारी शीरे से उत्पादित एथेनॉल की खरीद लागत में तुरंत बढ़ोतरी की घोषणा करने की भी मांग की है. सरकार ने हाल ही में मक्का से बने एथेनॉल के लिए प्रोत्साहन की घोषणा की थी. लेकिन चूंकि गन्ने की फसल मक्के की तुलना में पानी, पोषक तत्व, भूमि उपयोग या कार्बन पृथक्करण के मामले में अधिक कुशल है, इसलिए गन्ना भी सरकार द्वारा अधिक समर्थन का हकदार है.
15 जनवरी तक 149.52 लाख टन चीनी का उत्पादन
ISMA के इस्मा के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, देश में चालू 2023-24 सत्र के 15 जनवरी तक 149.52 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है, जो एक साल पहले की समान अवधि के 157.87 लाख टन से थोड़ा कम है. इस सत्र में अबतक लगभग 520 मिलें परिचालन में थीं, जबकि एक साल पहले की समान अवधि में 515 मिलें परिचालन में थीं.
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