भारत में इस बार मौसम की मार सबसे ज्यादा किसानों के ऊपर पड़ी है. जहां एक ओर भारी बारिश के चलते खेतों में पानी भर गया तो दूसरी ओर अभी कहीं- कहीं बुवाई भी नहीं हुई है. इससे खाद्यान्न उत्पादन पर असर तो पड़ा ही है साथ ही पशुओं के चारा उत्पादन पर भी असर हुआ है.
आपको बता दें कि इस समय बाजार में पशुओं के चारे के दाम आसमान छू रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो चारे की कीमत ने पिछले 9 साल का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. कई राज्यों में तो गेहूं का भूसा 700 से 800 रुपए प्रतिमन (40 किलो) के भाव से बिक रहा है.
इन राज्यों में चारे की है किल्लत
राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश व गुजरात के कई इलाको में बाजरा की खेती की जाती है. सिर्फ उत्पादन ही नहीं यहां पर खपत भी बड़े पैमाने पर होती है. बाजरा पशुओं के लिए एक संतुलित आहार का काम करता है, लेकिन सितंबर का महीना बीत गया है और अभी कई जगहों पर कटाई शुरू नहीं हुई है. इसके अलावा भारी बारिश के चलते बाजरा में काफी नुकसान भी हुआ है जोकि आने वाले समय में चारा संकट की ओर इशारा कर रहा है.
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हरे चारे के दामों पर दिख रहा है असर
कुदरत के कहर के कारण बाजार में पशुओं के हरे चारे की कीमत में काफी बढ़ोत्तरी हुई है. पहले जहां हरा चारा 200 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से बिक रहा था तो वहीं अब इसकी कीमत 800 रुपये प्रति क्विंटल हो चुकी है. इसके अलावा पशुओं की आहार में सरसों और कपास की खली 1600 रुपए प्रति क्विंटल के भाव से बिक रही थी लेकिन अब इसकी कीमत 3000 रुपए प्रति क्विंटल हो गई है.
दूध की कीमतों पर भी होगा इसका असर
देश में अभी पिछले दिनों दूध की कीमतों में इजाफा हुआ है, जिसमें खुले दूध से लेकर पैकेट वाले दूध तक सभी शामिल है. लेकिन मौजूदा समय में हो रही चारे की कमी की वजह से आने वाले समय में दूध के दामों में बढ़ोत्तरी देखने को मिल सकती है.
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