हर साल देशभर में अलग-अलग स्टील प्लांट से 19 मिलियन टन स्टील का कचरा निकलता है. हालात ऐसे हो गए हैं कि स्टील प्लांटों में कचरे के पहाड़ बन गए हैं, लेकिन मौजूदा वक्त में ऐसा नहीं हैं. दरअसल, अब इसी स्टील कचरे से सड़के (Steel Road) बनी जाएंगी.
स्टील रोड बनकर हुआ तैयार (Steel Road Ready)
जी हां, कई सालों की रिसर्च के बाद केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों (Scientists of Central Road Research Institute) ने स्टील के कचरे को प्रोसेस किया. इसके बाद गिट्टी का निर्माण किया है. आपको बता दें कि अब इसी गिट्टी की मदद से गुजरात में करीब 1 किलोमीटर लंबी 6 लेन की सड़क तैयार बनाकर तैयार गई है. खास बात यह है कि अब देशभर में बनने वाले हाइवे भी स्टील के कचरे (Steel Road) से बनाए जाएंगे.
स्टील रोड पर चल रहे 1000 से ज्यादा ट्रक (More than 1000 trucks running on steel road)
अगर इससे पहले की बात करें, तो गुजरात में हजीरा पोर्ट पर 1 किलोमीटर लंबी ये सड़क कई टन वजन लेकर चल रहे ट्रकों के चलते बदहाल थी. मगर एक अनोखा प्रयोग किया गया, जिसके तहत सड़क को पूरी तरह स्टील के कचरे (Steel Waste) से बनाकर तैयार कर दिया. बता दें कि रोजाना करीब 1000 से ज्यादा ट्रक करीब 18 से 30 टन वजन लेकर इस सड़क से गुजर रहे हैं, लेकिन स्टील से बनी यह सड़के (Steel Road) जस की तस है.
#Steelslag road built with 100 % processed steel slag aggregates in all layers of bituminous roads at Hazira, Surat in collaboration of @CSIRCRRI & @AMNSIndia under the R&D study sponsored by @SteelMinIndia. @NITIAayog @TATASTEEL @jswsteel @RinlVsp @NHAI_Official@CSIR_IND pic.twitter.com/dNHxxdnAZA
— CSIR CRRI (@CSIRCRRI) March 22, 2022
स्टील कचरे से बनी सड़क की मोटाई भी 30 फीसदी कम (The thickness of the road made of steel waste is also reduced by 30 percent)
खास बात यह है कि इस प्रयोग के बाद देश के हाइवे और दूसरी सड़कों को भी स्टील कचरे से बनाकर तैयार किया जाएगा. ऐसा इसलिए, क्योंकि इससे बनी सड़कें (Steel Road) काफी मजबूत बताई जा रही हैं. इसका खर्चा भी करीब 30 प्रतिशत कम आता है. सीआरआरआई (CRRI) की मानें, तो इस सड़क की मोटाई भी 30 फीसदी कम हुई है.
अधिक जानकारी के लिए बता दें कि हर साल देश के अलग-अलग स्टील प्लांटों (Steel Plants) से करीब 19 मिलियन टन कचरा निकलता है. एक अनुमान लगाया गया है कि साल 2030 में ये करीब 50 मिलियन टन हो सकता है. परेशान करने वाली बात यह है कि इससे सबसे बड़ा खतरा हमारे पर्यावरण पर पड़ेगा.
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इसी समस्या से छुटकारा पाने के लिए नीति आयोग के निर्देश पर इस्पात मंत्रालय ने कई साल पहले केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (Central Road Research Institute) को एक प्रोजेक्ट दिया. इसके तहत कई साल की रिसर्च करने के बाद वैज्ञानिकों ने सूरत के AMNS स्टील प्लांट में कचरे को प्रोसेस करवाकर गिट्टी तैयार करवाई.
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