भारत और ईरान ने 'तेल के बदले अनाज' के आधार पर व्यापार करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. अमेरिका द्वारा ईरान से व्यापार पर लगाए गए प्रतिबंध से छूट मिलने के बाद यह समझौता किया गया है. इस फैसले से भारत के बासमती चावल के निर्यात को फायदा पहुंचेगा. अभी खत्म हुए खरीफ सीजन में बासमती चावल के निर्यात में गिरावट होने का खतरा था. ऐसे में यह फैसला देश के किसानों के साथ-साथ बासमती निर्यातकों को भी राहत देगा.
दरअसल अमेरिका ने ईरान से परमाणु समझौता रद्द कर दिया था और उस पर भारी आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए थे. अमेरिका ने दुनिया के सभी देशों को ईरान से तेल की खरीद बंद करने की सलाह दी थी. इसके अलावा हाल ही में अमेरिका की आपत्ति के बाबजूद भारत ने रूस से एक महत्वपूर्ण हथियार खरीद सौदा भी किया था. इससे इस बात की संभावना जताई जा रही थी कि अमेरिका, भारत और ईरान पर प्रतिबंध लगाएगा. लेकिन पिछले हफ्ते अमेरिकी प्रशासन ने भारत को ईरान से तेल खरीदने की छूट दे दी थी.
अब मौजूदा व्यवस्था के तहत भारत ईरान से जो तेल खरीदेगा उसके एवज में बासमती चावल और अन्य खाद्यान्नों की सप्लाई की जाएगी. बताते चलें कि प्रतिबंध की संभावनाओं को देखते हुए दोनों देशों में पहले ही इस बात पर सहमति बन चुकी थी कि प्रतिबंध की स्थिति में जो भी कच्चा तेल भारत लेगा उसका भुगतान भारतीय रूपये और यूरोपीय मुद्रा यूरो में किया जाएगा। ईरान को रूपये में दी जाने वाली राशि एक खाते में जमा की जाएगी जिसका इस्तेमाल ईरान भारत से बासमती चावल या दूसरे खाद्य उत्पादों के आयात के भुगतान के लिए कर सकेगा. ईरान इस खाते से भारत से आयतित दवाइयों या कपड़ों के आयात के लिए भी भुगतान कर सकता है. ईरान भारतीय बासमती चावल का न सिर्फ सबसे बड़ा आयातक है बल्कि वहां दुनिया के दूसरे देशों के मुकाबले औसतन 20 फीसदी से ज्यादा कीमत भी मिलती है. 'तेल के बदले अनाज' की व्यवस्था होने से भारतीय निर्यातकों का भुगतान भी सुनिश्चित होगा.
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