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भारत और इटली के इस समझौते से कृषि में आएगा बड़ा सुधार...

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्यांण मंत्री, राधा मोहन सिंह ने कृषि भवन, नई दिल्ली में इटली गणराज्यी के कृषि, खादयान्नर एवं वानिकी नीति मंत्री मौरिजिओ मार्टिन से मुलाकात की। इटली आगंतुक शिष्ट‍मंडल का स्वानगत करते हुए राधा मोहन सिंह ने कहा कि भारत और इटली के बीच पारंपरिक रूप से मैत्री एवं सौहार्दपूर्ण संबंध हैं ।

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्री,  राधा मोहन सिंह ने कृषि भवन, नई दिल्ली में इटली गणराज्‍य के कृषि, खादयान्‍न एवं वानिकी नीति मंत्री मौरिजिओ मार्टिन से मुलाकात की। इटली आगंतुक शिष्‍टमंडल का स्‍वागत करते हुए राधा मोहन सिंह ने कहा कि भारत और इटली के बीच पारंपरिक रूप से मैत्री एवं सौहार्दपूर्ण संबंध हैं । सिंह ने कहा कि भारत दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और अधिक मजबूत करने पर विशेष महत्‍व देता है । उन्‍होंने अपने विचार व्‍यक्‍त करते हुए उल्‍लेख किया कि कृषि क्षेत्र सहित विभिन्‍न क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच संबंधों को और प्रगाढ़ एवं सुदृढ़ करने की आवश्‍यकता है । सिंह ने इटली के मंत्री का एक विशाल व्‍यापारी शिष्‍टमंडल के साथ एग्रीमेच इंडिया 2017 में शामिल होने के लिए धन्‍यवाद किया । 

राधा मोहन सिंह ने कृषि मशीनों, प्रशिक्षण, निवेश, संस्‍थागत संबंधों, प्रीसीजन फार्मिंग, पशु प्रजनन और मछलीपालन जैसे सहयोग के व्‍यापक कार्य क्षेत्र का उल्‍लेख किया । सिंह ने कृषि क्षेत्र, विपणन, मृदा स्‍वास्‍थ्‍य, सिंचाई और फसल बीमा आदि क्षेत्रों में सरकार द्वारा की गई पहलों का भी संक्षिप्‍त रूप से उल्‍लेख किया.

केन्द्रीय कृषि मंत्री ने यूरोपीय आयोग द्वारा निर्धारित अधिकतम मध्‍यम अपशेष स्‍तर (एमआरएल) के कारण भारतीय अंगूरों और चावल के निर्यात पर पड़े प्रभाव संबंधी मामले को भी उठाया। सिंह ने इस मामले का परस्‍पर स्‍वीकार्य समाधान खोजने का सुझाव दिया क्‍योंकि यूरोपीय संघ द्वारा भारत को जानकारी दिए बगैर ही बिना किसी वैज्ञानिक मूल्‍यांकन के ये सीमाएं तय की गई हैं ।

दोनों मंत्रियों ने कृषि और पादप स्‍वच्‍छता के क्षेत्र में सहयोग के लिए नए समझौते ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किए। यह वर्ष 2008 में हस्‍ताक्षरित समझौते ज्ञापन का स्‍थान लेगा । इस समझौते ज्ञापन में इस क्षेत्र से संबंधित सहयोग के लिए सुनियोजित योजना बनाने का प्रावधान किया गया है ।  

इससे पहले, राधा मोहन सिंह ने गिल्बर्ट एफ हन्गबो से मुलाकात की और उन्हें आईएफ़एडी के प्रेसिडेंट के रूप में चुने जाने पर बधाई दी।

सिंह ने कहा भारत सयुंक्‍त राष्‍ट्र की 13वीं विशेष एजेन्‍सी के रूप में 1977 में आईएफएडी की स्‍थापना के पश्‍चात से ही इसके साथ सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ है। भारत आईएफएडी का संस्‍थापक सदस्‍य है और सदस्‍य देशों के बीच प्रमुख सहयोगी रहा है, कोष के शासी निकाय में सक्रिय भागीदार रहा है और आईएफएडी कार्यकारी मंडल में स्‍थायी सदस्‍य है। वर्तमान में यह अधिशासी परिषद और मूल्‍यांकन समिति का अध्‍यक्ष है।

आईएफएडी की नयी योजना का स्‍वागत करते हुए केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा वे भारत के अलावा नेपाल, भूटान, बंग्‍लादेश, श्रीलंका और मालदीव को कवर करते हुए उप-क्षेत्रीय हब के रूप में कार्य करने के लिए नई दिल्‍ली में उप-क्षेत्रीय हब की स्‍थापना करेंगे। सिंह ने कहा इससे दक्षिण-दक्षिण तकनीकी सहयोग (एसएसटीसी) सहित और अधिक निवेश, तकनीकी और ज्ञान सहयोग के लिए अवसरों में उल्‍लेखनीय बढ़ोत्‍तरी होगी।

केन्द्रीय कृषि मंत्री ने कहा भारत ने वर्ष 2016-18 अवधि के लिए आईएफएडी की 10वीं पुनपूर्ति में 37 मिलियन अमरीकी डालर का योगदान दिया है। हमें अगली पुनपूर्ति में इस राशि में काफी हद तक बढ़ोतरी की संभावना है।

English Summary: India and Italy will come to agriculture with a great improvement ... Published on: 06 December 2017, 11:08 PM IST

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