नेचुरल रबड़ के ग्लोबल प्राइसेज में कमी आने के कारण भारत में इसका इंपोर्ट बढ़ सकता है। रबड़ बोर्ड के डेटा के अनुसार, अप्रैल से जुलाई के बीच रबड़ के इंटरनेशनल प्राइसेज में तेजी और भारत में इसका प्रॉडक्शन अधिक होने से रबड़ का इंपोर्ट एक वर्ष पहले की समान अवधि के मुकाबले 14 पर्सेंट गिरकर 1,30,543 टन रहा था। इसी अवधि में देश में रबड़ का उत्पादन 7.5 पर्सेंट की वृद्धि के साथ 2,01,000 टन रहा था।
ऑल इंडिया रबर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (एआईआरआईए) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष और देश में रबर की वस्तुओं के सबसे बड़े निर्यातकों और उत्पादकों में शुमार ओरियंटल रबर इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक विक्रम माकर ने कहा कि जहां एक ओर हमारे कच्चे माल - प्राकृतिक और सिंथेटिक रबर की आपूर्ति कुछेक बड़े कॉरपोरेट घरानों द्वारा नियंत्रित होती है, वहीं दूसरी ओर हम उपभोक्ता बाजार में चीन के विनिर्माताओं से कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करते हैं। इन बाजारों में अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल है। इसलिए हमें अनुकूल सरकारी नीतियों की जरूरत है। सबसे पहले हमें अपने मसलों को सरकार के सामने ले जाने के लिए रबर निर्यात संवर्धन परिषद जैसी किसी समर्पित संस्था की जरूरत है। फिलहाल व्यक्तिगत कंपनियों द्वारा अपने मसलों को सरकार के सामने ले जाया जाता है जिन पर ध्यान ही नहीं दिया जाता है। दूसरे, कार्यशील पूंजी पर उच्च ब्याज दर, कच्चे माल की उपलब्धता पर दीर्घावधि नीति आदि से संबंधित कारोबारी बाधाओं पर हमारे प्रयासों पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
वर्तमान में चीन की बाजार हिस्सेदारी 11 प्रतिशत है, जबकि भारत की 1.48 प्रतिशत। हालांकि भारतीय निर्यातक आने वाले दो सालों में विश्व बाजार में भारत की हिस्सेदारी में पांच प्रतिशत इजाफे की उम्मीद कर रहे हैं।
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