1. Home
  2. ख़बरें

ICAR का 96वां स्थापना और प्रौद्योगिकी दिवस का आयोजन, जानें क्या कुछ रहा खास

16 जुलाई, 2024 को नई दिल्ली में ICAR का 96वां स्थापना और प्रौद्योगिकी दिवस का आयोजन किया. इस कार्यक्रम का उद्घाटन केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान के द्वारा किया गया.

KJ Staff
Union Minister Shri Shivraj Singh Chouhan
ICAR का 96वां स्थापना और प्रौद्योगिकी दिवस

नई दिल्ली में 16 जुलाई, 2024 को केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 96 वें आईसीएआर स्थापना एवं प्रौद्योगिकी दिवस समारोह के अवसर पर आयोजित प्रदर्शनी का उद्घाटन किया. इस अवसर पर केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्री राजीव रंजन सिंह, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी, राम नाथ ठाकुर, केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी तथा अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के राज्य मंत्री जॉर्ज कुरियन तथा केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी तथा पंचायती राज मंत्रालय के राज्य मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल भी मौजूद रहे.

सभा को संबोधित करते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पिछले 96 वर्षों में आईसीएआर की उल्लेखनीय उपलब्धियों के लिए उन्हें बधाई दी . उन्होंने कहा, "कृषि भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और किसान इसकी आत्मा हैं. मैं खुद एक किसान हूं, इसलिए मैं किसानों की सेवा को पूजा मानता हूं. किसानों की आय को चौगुना करने के लिए फसल विविधीकरण जरूरी है. हमने खाद्य उत्पादन के साथ-साथ पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन में भी अभूतपूर्व प्रगति की है."

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान

उन्होंने कहा, "किसानों और कृषि विज्ञान केंद्र के बीच का रिश्ता अद्भुत है. अनुसंधान को किसानों के खेतों तक प्रभावी ढंग से पहुंचाना कृषि विज्ञान केंद्र की जिम्मेदारी है. कृषि विविधीकरण के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं, जिससे किसानों की आय में वृद्धि हो रही है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान में 5,500 वैज्ञानिक हैं. दो-दो वैज्ञानिकों की टीम बनाकर उन्हें कृषि विज्ञान केंद्र भेजने से किसानों को लाभ होगा, उत्पादन बढ़ेगा और तकनीक के माध्यम से लागत कम करने में मदद मिलेगी. "

ICAR के बारे में...

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भाकृअनुप) कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (डेयर), कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के तहत एक स्वायत्त संगठन है, जिसे पहले इंपीरियल कृषि अनुसंधान परिषद के रूप में जाना जाता था, जिसकी स्थापना 16 जुलाई, 1929 को हुई थी. परिषद पूरे देश में बागवानी, मत्स्य पालन और पशु विज्ञान सहित कृषि में अनुसंधान एवं शिक्षा के समन्वय, मार्गदर्शन तथा प्रबंधन के लिए सर्वोच्च निकाय है. देश भर में फैले 113 भाकृअनुप संस्थानों और 77 कृषि विश्वविद्यालयों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा प्रणालियों में से एक है. भाकृअनुप ने अपने अनुसंधान और प्रौद्योगिकी विकास के माध्यम से भारत में हरित क्रांति तथा उसके बाद के कृषि विकास में अग्रणी भूमिका निभाई है, जिससे राष्ट्रीय खाद्य एवं पोषण सुरक्षा पर स्पष्ट प्रभाव पड़ा है. इसने कृषि में उच्च शिक्षा के विकास तथा उत्कृष्टता को बढ़ावा देने में भी प्रमुख भूमिका निभाई है.

भाकृअनुप कृषि उत्पादकता को बनाए रखने के साथ-साथ भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए नवाचार तथा प्रौद्योगिकी विकास को आगे बढ़ा रहा है. इसके अलावा भाकृअनुप द्वारा 23 नए उपकरणों और मशीनरी का विकास कृषि पद्धतियों के मशीनीकरण तथा आधुनिकीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम है. भाकृअनुप ने आठ प्रक्रिया प्रोटोकॉल विकसित किए हैं. दूध उत्पादन में 17.0 एमटी (1951) से 230.6 एमटी (2023) तक 13 गुना वृद्धि हासिल की गई. वर्ष के दौरान सात नई पशुधन नस्लों को पंजीकृत किया गया है. भाकृअनुप ने 4 टीके, 7 डायग्नोस्टिक्स और 10 फीड प्रौद्योगिकियां विकसित की है.

नई मछली प्रजातियों के लिए स्थापित प्रजनन प्रोटोकॉल जलीय कृषि और मछली उत्पादन क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान है. भाकृअनुप का दूरदर्शी दृष्टिकोण मत्स्य पालन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने का वादा करता है, जिससे एक टिकाऊ एवं संपन्न उद्योग सुनिश्चित होता है. वर्ष के दौरान, हमने 7 नई मछली प्रजातियों की पहचान की है, 7 प्रजनन तथा बीज उत्पादन तकनीक, 2 वैक्सीन और चिकित्सीय तथा पांच फीड/न्यूट्रास्यूटिकल्स उत्पाद विकसित किए हैं.

भाकृअनुप का सटीक खेती अनुसंधान में प्रवेश एक अग्रणी कदम है जो कृषि में क्रांति लाने के लिए तैयार है. खेती के तरीकों में रोबोटिक्स की सीमाओं को आगे बढ़ाकर, भाकृअनुप न केवल नवाचार को अपना रहा है बल्कि एक ऐसे भविष्य का मार्ग भी प्रशस्त कर रहा है जहाँ तकनीक टिकाऊ कृषि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.

जमीनी स्तर पर भाकृअनुप का समर्पण 47,650 व्यापक ऑन- फार्म परीक्षणों और 2.75 लाख फ्रंटलाइन प्रदर्शनों से स्पष्ट है. ये पहल वैज्ञानिक प्रगति और ऑन- फील्ड अनुप्रयोग के बीच की खाई को पाटती हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि देश भर के किसान सहजता से नवीन प्रथाओं को अपनाएंगे.

भाकृअनुप ने यूजी, पीजी और पीएचडी सीटों में 10% की वृद्धि की है. 2023-24 में यूजी पीजी और पीएचडी में केन्द्रीकृत भाकृअनुप परीक्षा के माध्यम से भारत भर के एयू में 9651 छात्रों को प्रवेश दिया गया. ई-लर्निंग पोर्टल में 256 ई-कोर्स (171 यूजी कोर्स और 85 पीजी कोर्स) थे, जिनमें 50 से अधिक देशों में 290114 डाउनलोड प्रक्रिया के साथ तथा 4215 पंजीकृत उपयोगकर्ता रहे. वर्ष के दौरान बीएससी, एग्रीकल्चर (ऑनर्स), प्राकृतिक खेती पाठ्यक्रम का क्रियान्वयन किया गया.

समारोह के दौरान प्रौद्योगिकी प्रदर्शनी और उद्योग इंटरफेस मुख्य आकर्षण रहा. प्रदर्शनी में विभिन्न भाकृअनुप संस्थानों द्वारा विकसित नवीन तकनीकों को हितधारकों के लाभ के लिए प्रदर्शित किया जाएगा जिससे कृषि उत्पादन, गुणवत्ता और किसानों की आय में वृद्धि होगी. इसके अलावा, टिकाऊ और जलवायु- लचीली कृषि, प्रदर्शनी के प्रमुख क्षेत्रों में से एक है. चावल, गेहूं, मक्का, दालें, तिलहन, बाजरा (श्री अन्ना) और अन्य वाणिज्यिक फसलों के लिए पर्यावरण के अनुकूल प्रौद्योगिकियों को भी प्रदर्शनी में प्रमुखता मिली. मशीनीकरण, सटीक खेती और मूल्यवर्धित उत्पादों पर भी ध्यान दिया गया. कृषि के सफल प्रचार के लिए भाकृअनुप की शिक्षा प्रणाली में मजबूत विस्तार प्रणाली तथा नवाचार को प्रदर्शित किया. इनके अलावा, हितधारकों के लाभ के लिए पशु विज्ञान, मुर्गी पालन तथा मत्स्य पालन के लिए हाल ही में विकसित सिद्ध तकनीकों को प्रदर्शित किया.

प्रदर्शनी के दौरान, भाकृअनुप संस्थानों द्वारा विकसित विभिन्न प्रकार की प्रौद्योगिकियों/ उत्पादों को प्रदर्शित किया जाएगा, जिसमें व्यावसायीकरण की संभावना है. इस दौरान उन्नत प्रौद्योगिकियों और उच्च मूल्य वाली बागवानी फसलों पर जोर देने वाली विविधता प्रदर्शनी को भी शामिल की जाएगी. लगभग 400 आम, 80 केले, 50 शीतोष्ण फल तथा 120 लघु फल किस्मों को प्रदर्शित करने वाला एक फल विविधता शो भी प्रदर्शित किया जाएगा. प्रदर्शनी के दौरान फसलों में पोषक तत्वों और जल की कमी का पता लगाने के लिए हाथ से पकड़े जाने वाले उपकरण, लोकलाइजर, बहु-परत बुनाई प्रौद्योगिकी का उपयोग करके विकसित औद्योगिक कट प्रतिरोध दस्ताने, एआई-आईओटी सक्षम जूट फाइबर ग्रेडिंग प्रणाली, बायोथर्मोकोल: फसल अवशेषों से माइसीलियम आधारित पैकेजिंग सामग्री सहित प्रौद्योगिकियों को भी प्रदर्शित किया गया.

प्रदर्शनी के दौरान, भाकृअनुप संस्थानों द्वारा विकसित विभिन्न प्रकार की प्रौद्योगिकियों/उत्पादों को प्रदर्शित किया जाएगा, जिनमें व्यावसायीकरण की संभावना है. उद्योग भागीदारों से बड़ी संख्या में भाग लेने की उम्मीद है, ताकि भाकृअनुप संस्थानों द्वारा विकसित विभिन्न प्रकार की प्रौद्योगिकियों/उत्पादों के बारे में जानकारी प्राप्त की जा सके, साथ ही भाकृअनुप और उद्योगों के बीच बातचीत के पीपीपी मॉडल की संभावनाओं के बारे में भी जानकारी प्राप्त की जा सके. प्रदर्शनी से प्रौद्योगिकी के बड़े पैमाने पर प्रसार तथा कृषि विज्ञान को लोकप्रिय बनाने में मदद मिलेगी. भाकृअनुप स्थापना एवं प्रौद्योगिकी दिवस में 1000 छात्रो ने भी भाग लिया.

English Summary: ICAR 96th Foundation and Technology Day celebrated latest news update Published on: 16 July 2024, 05:10 PM IST

Like this article?

Hey! I am KJ Staff. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News