किसानों के मुद्दों को लेकर किसानों ने हिमाचल किसान सभा के बैनर तले विधानसभा का घेराव किया। प्रदर्शन के दौरान किसान सभा के सदस्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए बेरिकेटिंग पर चढ़ गए।
हालांकि प्रशासन के पुख्ता सुरक्षा घेरे को आंदोलनकारी पार नहीं कर सके। प्रदर्शनकारियों ने सरकारी भूमि से किसानों की बेदखली बंद करने, जंगली जानवरों खासकर बंदरों की समस्या से निजात दिलाने, लावारिस पशुओं से निपटने के लिए ठोस नीति बनाने की मांग की।
मंगलवार को हिमाचल किसान सभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह तंवर के नेतृत्व में किसानों ने विधानसभा का घेराव किया। घेराव से पहले किसानों ने पंचायत भवन शिमला से चौड़ा मैदान होते हुए विधानसभा के गेट तक रैली निकाली।
भाजपा के चुनावी वायदे को वह पूरी तरह भूल चुकी है
इस दौरान किसानों और सभा के सदस्यों ने सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। किसान सभा के राज्य अध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि भाजपा के चुनावी वायदे को वह पूरी तरह भूल चुकी है।
उन्होंने कहा कि डॉ. स्वामीनाथन कमीशन की सिफारिशों को लागू करने का झांसा देकर भाजपा केंद्र से लेकर प्रदेश की सत्ता पर काबिज हो गई। हिमाचल के उत्पादों ऊन, शहद आदि के समर्थन मूल्य का वायदा भी किसानों से नहीं निभाया गया।
इस दौरान माकपा विधायक राकेश सिंघा ने कहा कि बंदरों और लावारिस पशुओं के आतंक के चलते हजारों किसान के खेती बागवानी छोड़ने के बावजूद अब तक जयराम सरकार कोई ठोस रणनीति नहीं बना सकी है।
सरकार पूरी तरह से किसान विरोधी दिख रही
जाहिर है केंद्र से लेकर प्रदेश तक की भाजपा सरकार पूरी तरह से किसान विरोधी दिख रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने प्रदेश के किसानों से भी वायदा किया था कि उनके कब्जे वाली सरकारी जमीन को नियमित करने के लिए नीति लाएगी
लेकिन कांग्रेस सरकार की तर्ज पर ही नई सरकार के समय भी गरीब किसानों के फलदार पौधे कटते रहे, उनके बिजली-पानी के कनेक्शन काटे गए और घरों को तोड़ने के नोटिस लोगों को मिलते रहे। सरकार के इस मौन से भी प्रदेश के किसान खफा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में मनरेगा को लागू नहीं किया जा रहा और न ही दूध का मूल्य मिल रहा है।
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