भूजल के लगातार गिरते स्तर और लगातार बढ़ रहे जल संकट ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है और यही कारण है कि वह धान की बुवाई को लगातार हतोत्साहित करने का प्रयास कर रही है. हरियाणा सरकार की फसल विविधीकरण योजना के अंतर्गत धान के बजाय अन्य फसलों का उत्पादन करने वाले किसानों को प्रोत्साहित करने का फैसला किया है.
सरकार देगी 7000 रुपये की सब्सिडी
खट्टर सरकार अपने यहां के किसानों को धान के स्थान पर अन्य फसलों की खेती के लिए प्रेरित करने के लिए लगातार प्रयासरत है और इसीलिए उन्होंने किसानों के लिए प्रति एकड़ 7000 रुपये की सब्सिडी देने का निर्णय लिया है. जिन किसानों ने धान की फसल नहीं उगाते हुए उसे खाली छोड़ रखा है, उनको भी फसल विविधीकरण योजना का पूरी तरह से लाभ मिलेगा.
गौरतलब है कि हरियाणा सहित देश के कई राज्य इन दिनों भारी भू जल संकट से ग्रस्त हैं. हरियाणा में भूजल की अत्यंत चिंताजनक स्थिति को देखते हुए यहां पर सरकार एक के बाद एक फैसले ले रही है. यहां कई जिलों की स्थिति यह है कि भूजल का स्तर काफी नीचे पहुंच गया है. ऐसे में सरकार ने राज्य के किसानों को अन्य वैकल्पिक फसलें उगाने की सलाह दी है.
इस स्कीम के तहत करें सब्सिडी प्राप्त करने हेतु आवेदन
किसानों को 7000 रुपये प्रति एकड़ की दर से सब्सिडी पाने के लिए मेरी फसल मेरा ब्योरा पोर्टल की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन करने की आवश्यकता है.
आवेदन की आखिरी तारीख है 10 अगस्त
पहले इस योजना के लिए आवेदन करने की आखिरी तारीख 31 जुलाई रखी गई थी. अब किसानों की मांग को देखते हुए सरकार ने यह तारीख बढ़ाकर 10 अगस्त कर दी है. गौरतलब है कि कृषि विभाग द्वारा पुष्टि प्राप्त होने के बाद किसानों के अकाउंट में इस योजना की राशि ट्रांसफर कर दी जाएगी.
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तिलहन और दलहन फसलों की खेती करने पर सब्सिडी की घोषणा
भूजल के गिरते स्तर को रोकने के लिए हरियाणा सरकार ने किसानों को दलहन और तिलहन की खेती के लिए प्रोत्साहित किया है क्योंकि इन फसलों को सिंचाई की आवश्यकता कम पड़ती है. इसी क्रम में सरकार ने मक्के की खेती ना करने पर भी 4000 रुपये प्रति एकड़ देने का फैसला किया था. सरकार धान की सीधी बिजाई पर भी किसानों को 3000 रुपये प्रति एकड़ की सब्सिडी दे रही है.
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