किसी भी लोकतांत्रिक देश में अपने विचारों को साझा करने हेतु आप आंदोलन, विरोध प्रदर्शन व हड़ताल जैसी गतिविधियों को अंजाम दे सकते हैं. इसमें किसी को कोई एतराज़ नहीं होगा, लेकिन हमारे देश का संविधान आंदोलन के नाम पर हिंसा की इज़ाज़त कतई नहीं देता है. बता दें कि विगत मंगलवार को सिंद्धू बॉर्डर पर कुछ ऐसी ही हिंसक तस्वीरें देखने को मिली, जब आंदोलन में शामिल एक शख्स ने दिल्ली पुलिस के एसएसचो पर हमला कर दिया.
बता दें कि हमलावर की पहचान हरप्रीत सिंह के रूप में हुई है. वह मूलत: पंजाब से ताल्लुक रखता है, और विगत कई दिनों से कृषि कानूनों के विरोध में किसानों आंदोलन में शामिल रहा था. जिस एसएचओ पर हमला किया गया है, वह समयपुर बादली थाने में बतौर एसएचओ के पद पर कार्यरत हैं. फिलहाल, घायल पुलिसकर्मी को अस्पताल में उपचार हेतु भर्ती करवाया गया है.
ऐसा रहा पूरा घटनाक्रम
यहां हम आपको बताते चलें कि हरप्रीत सिंह कृषि कानूनों के विरोध में आंदोलनरत किसानों के जत्थे में शामिल था, फिर एकाएक उसने हिंसक रुख अपनाते हुए दिल्ली पुलिस के एक जवान की कार छीन ली. इसके बाद जब पुलिसकर्मी ने उसका पीछा किया, तो वो मुकरबा चौक पर कार छोड़कर भाग गया, लेकिन इस बीच हरप्रीत ने तलवार से एसएचओ आशिष दूबे पर हमला कर दिया, जिससे उनकी गर्दन पर चोट लग गई.
कड़ी कार्रवाई करने की तैयारी में पुलिस
वहीं, अब पुलिस ने हरप्रीत सिंह के खिलाफ धारा 307 यानी हत्या के प्रयास के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है. पुलिस उसके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने का पूरा खाका तैयार कर चुकी है.
वादों पर खरे नहीं उतर रहे किसान नेता
गौरतलब है कि इससे पहले भी किसान आंदोलन हिंसक रुख अख्तियार कर दिल्ली पुलिस के जवानों को अपने निशाने पर ले चुका है. याद दिला दें कि जब इस तरह की हिंसक घटनाएं घटी थी, तो किसान नेताओं ने यह विश्वास दिलाते हुए कहा था कि हमारी कोशिश रहेगी कि अब आंदोलन के नाम पर इस तरह की हिंसक गतिविधि नहीं हो, लेकिन इस हालिया स्थिति मद्देनजर लगता है कि किसान नेता अपने वादे पर खरे नहीं उतर रहे हैं.
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