खेतों में पराली जलाए जाने से दिल्ली में लगातार पर्यावरण काफी प्रभावित हो रहा है। जिसके लिए नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल बोर्ड ने दिल्ली समेत सीमावर्ती राज्यों पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान के लिए दिशा निर्देश भेजे हैं। जाहिर है कि इन राज्यों में फसल के अवशेषों को जलाने से पर्यावरण प्रदूषण के स्तर में लगातार वृद्धि हो रही है। इसके तहत समय-समय पर राज्य सरकारों को निर्देश दिए गए हैं कि वे पराली जलाने के हानिकारक प्रभावों के बारे में किसानों मे जागरूकता पैदा करें। कृषि एवं कल्याण मंत्रालय द्वारा भी राज्य सरकारों के लिए निर्देश भेजे गए हैं जो कि निम्नवत हैं -
1- ज़ीरो टिल, सिड ड्रिल, हैप्पी सीडर, स्ट्रॉ बेलर, रोटावेटर, पैडी स्टॉ चोपर (मल्चर), रेक, स्ट्रॉ रिपर, श्रेडर जैसे अवशेष प्रबंधन मशीनों और उपकरणों को कस्टम हायरिंग सेंटर या ग्राम स्तरीय फार्म मशीनरी बैंकों के माध्यम से किसानों द्वारा उपयोग के लिए उपलब्ध करें।
2- राज्य सरकारों को यह भी बताया गया कि कृषि यंत्रीकरण पर
3- उप-मिशन के अंतर्गत नयी तकनीक एवम मशीनों के प्रदर्शन हेतु उपलब्ध राशि में से 4000 रुपये प्रति हेक्टेयर की राशि का उपयोग फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों के किसानों के खेत पर प्रदर्शन हेतु करें।
कृषि यंत्रीकरण पर उप-मिशन के तहत कृषि सहकारिता और किसान कल्याण विभाग द्वारा फसल अवशेष प्रबंधन मशीनों के क्रय के लिए अलग से राशि का आवंटन एवं उपयोगिता निम्नवत है -
राज्य |
आवंटन (करोड़ में)
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उपयोगिता (करोड़ में)
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2016-17 |
2017-18 |
2016-17 |
2017-18 |
पंजाब |
49.08 |
48.50 |
---- |
---- |
हरियाणा |
---- |
45.00 |
------ |
39.00 |
राजस्थान |
----- |
9.00 |
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3.00 |
उत्तर प्रदेश |
24.77 |
30.00 |
24.77 |
26.01 |
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