चालू रबी सीजन में चना की रिकार्ड बुवाई 96.83 लाख हैक्टेयर में हो चुकी है जबकि पिछले साल की समान अवधि में 84.12 लाख हैक्टेयर में ही बुवाई हुई थी। उत्पादक राज्यों में अभी तक मौसम फसल के अनुकूल बना हुआ है तथा कटाई तक मौसम अनुकूल रहा तो चालू फसल सीजन में चना का उत्पादन वर्ष 2012-13 के रिकार्ड उत्पादन 95.3 लाख टन से भी ज्यादा होगा। लेकिन बंपर उत्पादन होने के अनुमान के बावजूद इस समय चने का बड़ी मात्रा में आयात किया जा रहा है। जनवरी-फरवरी में ही करीब 4 लाख आयातित चना आयेगा, जिसका सीधा असर घरेलू बाजार में चना की कीमतों पर पड़ेगा।
आस्ट्रेलिया के साथ रुस तथा अन्य देशों से करीब 6-7 लाख टन चना के आयात सौदे हो चुके हैं जिनमें से करीब 2.50 लाख टन चना 10 जनवरी 2017तक भारतीय बंदरगाहों पर पहुंच भी चुका है। बुधवार को मुंबई में आस्ट्रेलियाई चना के भाव 6,200 रुपये प्रति क्विंटल रहे, जबकि फरवरी के आयात सौदे 5,500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से हो रहे है।
जनवरी-फरवरी में आयातित चना ज्यादा मात्रा में आयेगा, जबकि चना की घरेलू फसल कर्नाटका की मंडियों में आनी चालू हो गई है। फरवरी में महाराष्ट्र के साथ ही मध्य प्रदेश में भी चना की नई फसल की आवक बनेगी। मार्च-अप्रैल में राजस्थान और उत्तर प्रदेश में भी चना की नई फसल की आवक बढ़ जायेगी, जबकि घरेलू बाजार में आयातित चना ज्यादा मात्रा में उपलब्धत रहेगा, जिससे प्रमुख उत्पादक राज्यों की मंडियों में चना की कीमतें घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी नीचे आ सकती हैं, जिसका सीधा नुकसान चना किसानों को होगा। चालू रबी विपणन सीजन के लिए केंद्र सरकार ने चना का एमएसपी 4,000 रुपये प्रति क्विंटल (बोनस सहित) तय किया हुआ है।
कृषि मंत्रालय के अनुसार चालू वित्त वर्ष 2016-17 के अप्रैल से अक्टूबर के दौरान 27.48 लाख टन दालों का आयात हो चुका है। उधर इंडियन प्लसेज एंड ग्रेन एसोसिएशन (आईपीजीए) के चेयरमैन प्रवींन डोंगरे के अनुसार चालू वित्त वर्ष के अप्रैल से दिसंबर के दौरान करीब 50 लाख टन दलहन का आयात हुआ है जबकि पिछले वित्त वर्ष 2015-16 की समान अवधि में केवल 45 लाख टन दालों का ही आयात हुआ था। वित्त वर्ष 2015-16 में दलहन का कुल आयात 57.8 लाख टन का हुआ था, ऐसे में माना जा रहा है कि चालू वित्त वर्ष में दलहन का कुल आयात पिछले साल से भी ज्यादा ही होगा।
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