जल जीवन का आधार है, लेकिन इसकी अनदेखी के दुष्परिणाम सामने आने लगे हैं. झारखंड में भूमिगत जल का वर्षों तक अत्यधिक दोहन किया जाता रहा है. जिससे उसका स्तर हर वर्ष तेजी से नीचे जा रहा है. राज्य के 19 जिलों में भी 2002 की तुलना में 2021 में दो से छह मीटर तक जलस्तर नीचे चला गया है.
वहीं झारखंड (Jharkhand) सरकार ने इस और अपना रुख अब तक नहीं किया है. आपको बता दें कि हर घर में नल से पानी पहुंचाने की योजना की रफ्तार बेहद सुस्त है. योजना शुरू होने के 2 साल के दौरान 17 फीसदी से भी कम घरों में नल कनेक्शन पहुंचाया जा सका है, जबकि 2024 तक शत-प्रतिशत घरों में नल का पानी पहुंचाने का लक्ष्य है. जल जीवन मिशन (Jal Jeevan Mission) के तहत झारखंड में लगभग 60 लाख (59.23 लाख) परिवारों को इससे फायदा मिलना है. पेयजल एवं स्वच्छता विभाग ने विधानसभा के चालू शीतकालीन सत्र में विधायक दीपिका पांडेय सिंह (Deepika Pandey Singh) की तरफ से पूछे गए एक सवाल के जवाब में कहा है कि 15 दिसंबर, 2021 तक राज्य में मिशन के तहत नल जल आपूर्ति का 16.54 फीसदी हासिल कर लिया गया है.
ग्रामीण परिवारों को मिलेगा लाभ
आपको बता दें कि झारखंड सहित देशभर में अगस्त, 2019 में पानी की बढ़ती किल्लत को देखते हुए इस योजना पर काम शुरू किया गया था. 2024 तक सभी ग्रामीण परिवारों को इसका लाभ दिए जाने का लक्ष्य है. पेयजल स्वच्छता विभाग का कहना है कि फिलहाल 75 फीसदी लक्ष्य हासिल करने के लिए योजनाओं को स्वीकृति दी जा चुकी है और इसके लिए विभिन्न स्तरों पर क्रियान्वयन की कार्रवाई की जा रही है. इसके अलावा 25 फीसदी लक्ष्य पाने को योजनाएं तैयार की जा रही हैं.
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क्या है आकड़ों का हाल
झारखंड में जल जीवन मिशन के तहत 9 लाख 86 हजार 173 घरों में नल का पानी पहुंचाने का दावा किया गया है. आपको बता दें कि 15 अगस्त 1947 को जब ये योजना शुरू हुई थी, उसके पहले राज्य के मात्र 5.83 प्रतिशत घर ऐसे थे, जहां नल के पानी की पहुंच थी.
पड़ोसी राज्य बिहार में इस योजना के तहत 88.77 प्रतिशत घरों तक नल का पानी पहुंचाने का दावा किया गया है, जबकि मिशन की शुरूआत के ठीक पहले वहां मात्र 1.84 प्रतिशत घरों तक ही नल का कनेक्शन उपलब्ध था.
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