विपक्षी लाख हो हल्ला कर लें, लाख दावे कर लें कि सरकार की योजनाए विफल हो गई हैं लेकिन सरकार ने कहा है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना सफलतापूर्वक चल रही है। सरकार ने इस आरोपो को सिरे से नकारते हुए बेबुनियादी बताया कि इसका लाभ निजी बीमा कंपनियों को मिल रहा है। सरकार ने दावा किया है कि उसने प्रीमियम से अधिक भुगतान करके किसानों को लाभ दिया है।
फसल बीमा योजना के शुरूआत वर्ष में ही 16 बीमा कंपनियों की भागीदारी रही थी। इसमे पांच सरकारी कंपनियां भी शामिल थी। इसके प्रीमियम के लिए राज्य सरकारों ने पारदर्शी निविदा प्रक्रिया के जरिए तय की थी। सरकार ने कहा कि वबह इस योजना को दिशानिर्देशों व उसके अमल में लाने के लिए बचनबद्ध है और इसका प्रयास भी हो रहा है। इसके तरह ज्यादा फसलों व ज्यादा क्षेत्र और किसानों को लाने का प्रयास किया जा रहा है। इस स्कीम को बढ़ाने के लिए पूरा जोर दिया जा रहा है। इस स्कीम में 23 प्रतिशत किसान जुड़े है जो उत्साहवर्धक है। अधिक से अधिक किसानों को फसल बीमा योजना में लाने के लिए सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की तरफ से चलाए जा रहे कॉमन सर्विस सेंटरों की मदद ले रही है जिससे किसानों के दरवाजों कर पहुंच बनाई जा सके।
किसानों का मदद के लिए सरकार अधिक से अधिक वित्तीय बोझ उठा रही है। इसके लिए इसकी आवंटन राशि को बढ़ा दिया है। 2015-16 में इसके लिए 3000 करोड़ रूपये आवंटित किया गया था जिसे 2017-08 में बढ़ाकर 9000 करोड़ रूपये कर दिया गया।
अब तक खरीफ 2016-17 के खरीफ सीजन के लिए 6778 करोड़ रूपये के दावों की स्वीकृति दी जा चुकी है। इसमे से 4274 करोड़ रूपये का भुगतान भी कर दिया गया है। इस वर्ष इस स्कीम के लिए कुल स्कीम की राशि 16675 करोड़ रूपये रहने का अनुमान लगाया गया है।
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