भारत सरकार ने कहा है कि अरहर की दाल की जमाखोरी और अटकलों पर लगाम लगाने के लिए आयातकों, मिलों और व्यापारियों के पास मौजूदा दाल के स्टॉक की निगरानी के लिए एक समिति का गठन किया गया है.
आधिकारिक बयान के मुताबिक, सरकार घरेलू बाजार में अन्य दालों के स्टॉक की स्थिति पर भी नजर रख रही है. इससे सरकार आने वाले महीनों में दालों की कीमतों में अतिरिक्त वृद्धि की स्थिति में आवश्यक कदम उठा सकती है. सरकार का यह निर्णय बाजार में अच्छी मात्रा में आयात के दालों का स्टॉक जारी नहीं किए जाने के कारण किया गया है.
इस मामले में सचिव निधि खरे की अध्यक्षता वाली समिति राज्य सरकारों के मिलकर अरहर के स्टॉक की निगरानी रखेगी. इससे पहले पिछले साल भी सरकार ने राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के तहत अरहर की दाल के संबंध में राज्यों को एडवाइजरी जारी की थी. इसके अलावा सरकार ने सुचारू आयात की सुविधा के लिए गैर-एलडीसी देशों से अरहर के आयात पर लगने वाले शुल्क पर 10 प्रतिशत शुल्क को हटा दिया है क्योंकि यह शुल्क आयात के लिए भी बाधाएं पैदा करता था.
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सरकार ने बाजार में जमाखोरों और बेईमानों से निपटने के लिए तथा स्टॉक की निगरानी के लिए यह समिति की नवीनतम घोषणा की है. अपने बयान में कहा है कि यह पहल देश में आने वाले महीनों में अरहर की कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए सरकार के द्वारा उठाया गया कदम है.
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