उत्तर प्रदेश में गन्ने की खेती करने वाले किसानों के लिए खुशखबरी है. राज्य सरकार गन्ने की कीमतों में वृद्धि करने का निर्णय ले सकती है. प्रदेश की सरकार मौजूदा पेराई सीजन के लिए राज्य की सलाहीकृत कीमतों (एसएपी) में बढ़ोतरी कर सकती है. कीमतें बढ़ने से देश के सबसे बड़े गन्ना उत्पादक राज्य के हजारों गन्ना किसानों को फायदा पहुँचेगा.
पिछले साल राज्य सरकार ने गन्ने की कीमतों में तीन फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी की थी. इससे कीमतें बढ़कर 315 रुपये प्रति क्विंटल तक हो गईं थीं. इस साल गन्ना उत्पादन में 12% का इजाफा होने का अनुमान है. मौजूदा बुबाई के रकबे को देखते हुए गन्ने का कुल उत्पादन 213.1 मिलियन टन और चीनी उत्पादन 12.5-13 मिलियन टन तक पहुंचने की उम्मीद है.
वहीं किसानों को होने वाले समस्याओं की अगर बात करें तो हर साल न तो पूरे गन्ने की खरीद हो पाती है और न ही उन्हें वक्त से बकाया भुगतान मिल पाता है. उत्तर प्रदेश के चीनी उधोग और गन्ना विकास विभाग ने कहा है कि इस साल राज्य में कुल उत्पादित गन्ना की पेराई की जाएगी. जिससे सभी किसानों को समय से भुगतान हो जाएगा.
राज्य की कुल 121 में से 51 मिलों ने पहले ही गन्ने की पेराई शुरू कर दी है. विभाग के अधिकारियों का कहना है कि सरकार आने वाले दिनों में गन्ना के लिए एसएपी की घोषणा कर सकती है. माना जा रहा है कि यह वृद्धि पिछले साल की तरह ही 10 रूपये प्रति क्विंटल तक की जाएगी.
हालांकि, चीनी मिल संगठनों ने सरकार से कीमतें ना बढ़ाने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि नई गन्ना मूल्य निर्धारण नीति और चीनी के मूल्यों में गिरावट के चलते मिलों को पहले से ही घाटे का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे में गन्ने की कीमतों में कोई भी इजाफा उनकी मुश्किलें और बढ़ा देगा. सनद रहे कि राज्य में चीनी की मौजूदा थोक कीमतें 31.5 रुपये प्रति किलो हैं. जबकि मिल मालिकों का कहना है कि उन्हें घाटे से उबरने के लिए कीमतें 34-35 रुपये प्रति किलो होनी चाहिए.
रोहिताश चौधरी, कृषि जागरण
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