जब कोई भी किसान खेत में खेती करता है, तो उसकी एकमात्र कोशिश यही रहती है कि अंत में उसके द्वारा उगाए गए फसलों की अच्छी खासी पैदावार हो. अगर ऐसा नहीं होता, तो उसके ख्वाब मुक्म्मल होने से पहले ही ध्वस्त हो जाते हैं. उसके चेहरे पर शिकन और होठों पर उदासी अपना ठिकाना बनाना शुरू कर देती हैं, लेकिन अगर किसानों को अच्छी पैदावार मिल जाए और साथ ही अच्छा मुनाफा, तब तो फिर क्या ही कहें। कुछ ऐसा ही हुआ हिमाचल प्रदेश के सिरमौर में रहने वाले लहसुन उत्पादकों के साथ भी.
जी हां…कल तक कोरोना काल में अपने भविष्य को महफूज रखने की जुगत में जुटे किसानों को जब लहसुन की बंपर पैदावार हुई, तो उनके चेहरे खिल उठे. कुछ दिनों पहले तक मायूस रहने वाले ये चेहरे एकाएक खिलखिला उठे. भला मुस्कुराए भी क्यों न. आखिर उन्हें उनकी मेहनत का फल जो मिला है. लहसुन के पैदावार की अधिकता का अंदाजा आप महज इसी से लगा सकते हैं कि जहां लहसुन का अभाव है, वहां अब इसे आपूर्ति के लिए भेजा जा रहा है.
बताया जा रहा है कि प्रदेश के सैनधार और गिरीपार में 50 से 60 क्विटंल तक लहसुन की पैदावार होने का अनुमान जताया गया है. लहसुन की पैदावार में आई इस अधिकता को ध्यान में रखते हुए अब इसकी कीमत 60 से 75 रूपए तक बने रहने का अनुमान जताया जा रहा है. माना जा रहा है कि इस बार लहसुन उगाने वाले किसानों को अच्छा मुनाफा मिलेगा. विगत वर्ष इसी लहसुन की कीमत 40 से 50 रूपए तक सिमट कर रह गई थी.
ज़रा पढ़िए तो किसानों की व्यथा
कभी लहसुन की फसलों से भारी मुनाफा कमाने वाले किसान आज बदहाली में रहने को बाध्य हो चुके हैं. चूंकि मंडियों में सन्नाटा पसरा हुआ है. कल तक आढ़तियों की आमद से गुलजार रहने वाली मंडियां आज वक्त से पहले ही वीरान हो जा रही हैं.
किसानों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है. वो तो प्राकृतिक की मेहरबानी रही कि हिमाचल प्रदेश के लहसुन उत्पादकों को इस बार लहसुन की भारी पैदावार होने जा रही है.फूज
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