उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री योगी की अध्यक्षता में 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए 'कृषक समृद्धि आयोग' का गठन कर दिया है। इस आयोग में कृषि मंत्री, केंद्र और राज्य सरकार के अफसरों के अलावा देश भर के जाने-माने कृषि विशेषज्ञ, किसान और कॉरपोरेट प्रतिनिधि शामिल होंगे।
यूपी में लंबे समय से किसान आयोग के गठन की मांग चल रही थी। बीजेपी ने अपने घोषणा पत्र में भी किसान आयोग के गठन का वादा किया था। वहीं केंद्र सरकार भी सभी राज्यों से आयोग गठित करने का निर्देश दे चुकी है। प्रदेश सरकार ने शुक्रवार को आयोग के गठन के संबंध में शानादेश जारी कर दिया।
ये होगा आयोग का काम :
- फसलों की उत्पादन लागत में कमी और उत्पादन बढ़ाने के लिए सुझाव।
- फसलों के भंडारण और विपणन के लिए सुझाव।
- कृषि, उद्यान, पशुपालन, मत्स्य पालन, रेशम पालन, में किसानों की क्षमता और कमजोरियों का अध्ययन।
- खेती में होने वाली आय में गिरावट के कारणों का विश्लेषण और किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सुझाव देना।
- राज्य की प्रमुख फार्मिंग प्रणालियों की उत्पादकता, लाभ और स्थिरता बढ़ाने के लिए योजना।
- कृषि प्रौद्योगिकी, पशुधन, मत्स्य, मुर्गीपालन, सेरीकल्चर, कृषि वानिकी और दुग्ध विकास के लिए सुझाव देना।
- विविध कृषि जलवायु वाले क्षेत्रों का मूल्यांकन करते हुए राज्य में टिकाऊ और समान कृषि विकास को हासिल करने के लिए नीतियां बनाना।
- बीज, उर्वरक, कीटनाशक के समुचित उपयोग की कार्यविधि के साथ इनके उपयोग के संबंध में सुझाव देना।
- भूगर्भ जल का कम से कम उपयोग करते हुए उपलब्ध सतही जल से फसलों का अधिक से अधिक उत्पादन के लिए सुझाव देना।
- कृषि एवं कृषि से संबंधित क्षेत्रों में ऋण और उसके उपयोग के संबंध में सुझाव।
- मिट्टी सुधार के लिए सुझाव।
- जलवायु परिवर्तन से फसलों को होने वाले नुकसान को रोकने के और पर्यावरण संतुलित रखने के लिए सुझाव।
- कोऑपरेटिव फार्मिंग, कांट्रैक्ट फार्मिंग, कलेक्टिव फार्मिंग या कॉरपोरेट फार्मिंग के संबंध में सुझाव।
- फसलों के उत्पादन के लिए अल्पकालिक और दीर्घकालिक नीतियों के लिए सुझाव देना।
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