शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा साल 2020 का बजट पेश किया गया. इस बजट में कई ऐसी घोषणाएं हैं जो सीधे तौर पर किसानों और ग्रामीण भारत के हित को ध्यान में रखकर की गई हैं. एक तरफ जहां 2022 तक कृषिकों की आय को डबल करने का लक्ष्य रखा गया है तो वहीं मछली पालन के लिए विशेष योजनाओं की बात कही गई है. पानी की समस्याओं को दूर करते हुए सरकार 100 जिलों को राहत देगी. वहीं 21 लाख किसानों को सोलर पंप दिया जाएगा. इसी तरह की कई अन्य घोषणाएं भी बजट में की गई हैं लेकिन सबसे बड़ी घोषणा शायद बैंक बीमा राशि से होने वाला लाभ है.
वैसे बता दें कि बैंक खाताधारकों को 5 लाख रुपए तक की बीमा राशि देने की घोषणा सभी के लिए है. लेकिन इसका सबसे अधकि लाभ किसानों, मजदूरों और मध्यम वर्ग के लोगों को होगा.
किसानों को क्या होगा लाभ
नई घोषणा के मुताबिक अब खाताधारकों को 5 लाख रुपए तक की बीमा राशि उस समय मिलेगी जब बैंक कंगालिया हो जाएगा यानी किसी भी नुकसान की स्थिती में राहत के तौर पर 5 लाख रुपए दिए जाएंगे.
पहले क्या था नियम
इससे पहले बैंक गारंटी के तौर पर 1 लाख रुपए तक की राशि दी जाती थी. किसी भी बैंक के फेल हो जाने पर खाताधारकों की 1 लाख रुपए राशि सुरक्षित रहती थी. खास बात यह है कि 1993 के बाद से ही डिपॉजिट गारंटी लिमिट को इस बार पहली दफ़ा बदला गया है.
क्यों लिया गया फैसला
डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन (DICGC) एक्ट 1961 को अभी तक बदला नहीं गया था. सभी खाताधारकों को बैंक के फेल होने पर केवल 1 लाख रूपए ही बीमा राशि दिया जाता था लेकिन बीते कुछ सालों में पीएमसी बैंक घोटाला और पीएनबी बैंक घोटाला सामने आया. इन बैंकों में विशेषकर किसान और ग्रामीण समुदाय से जुड़े लोग ही खाताधारक थे. शायद यही कारण है कि कई विशेषज्ञों ने बीमा राशि को बढ़ाने का लक्ष्य किसानों और ग्रामीण समुदाय के लोगों का विश्वास प्राप्त करने का तरीका माना है.
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